प्रयागराज (ब्यूरो)।शहर के अंदर स्थित एक भी मकान में किराएदार नहीं रहते हैं। मकानों में सिर्फ भवन स्वामी व उनका परिवार ही रहता है। यह जानकर आप हैरान जरूर हो रहे होंगे, पर बात सोलह आने सच है। इस बात की पुष्टि नगर निगम से प्राप्त आंकड़े कर रहे हैं। एक भी मकान मालिक ने नगर निगम में अपने घर के अंदर किराएदार रखने की सूचना नहीं दी है। किस मकान में कितने किराएदार हैं? इस बिन्दु पर कभी कोई सर्वे भी नहीं हुआ है। जिससे यह मालूम चल सके कि कितने ऐसे घर हैं, जिसमें किराएदार रहते हैं। शहर के मकानों में किराएदारों को लेकर यह एक सरकारी पहलू है। दूसरे पहलू में इस सरकारी दस्तावेजों से हकीकत काफी उलट है। दरअसल, सच्चाई यह है कि शहर के अंदर बने 90 प्रतिशत मकानों के मालिक घर में किराएदार रखते हैं। किराएदारों से हर महीने हजारों रुपये की सूखी कमाई करने वाले भवन मालिक पानी से लेकर बिजली तक तक का बिल अलग से वसूल करते हैं। मकान मालिकों के इस अप्रत्यक्ष व साइलेंट कमाई पर न तो इनकम टैक्स की नजर है और न ही नगर निगम की।

02
लाख 35 हजार मकान हैं शहर के अंदर
08
हजार 183 भवन प्योर कामर्सियल हैं
18
हजार 434 मकान हैं मिक्स कामर्सियल
358
सरकारी बिल्डिंग हैं नगर निगम में दर्ज

करते हैं हजारों व लाखों की कमाई
नगर निगम एरिया यानी शहरी क्षेत्र में लोगों के द्वारा बनवाया गया मकान बगैर लागत कमाई का बड़ा जरिया बन गया है। शहर के करीब दो लाख 35 हजार मकान हैं। यह ऐसे भवन हैं जिनकी संख्या नगर निगम हाउस टैक्स की सूची में दर्ज है। हाउस टैक्स के दस्तावेज पर गौर करें तो शहर में 08 हजार 83 भवन प्योर कामर्सियल की श्रेणी में हैं। यहां कामर्सियल मकान दो प्रकार के हैं। सूत्र बताते हैं कि 18 हजार 434 मकान मिक्स कामर्सियल के रूप में हैं। यह आंकड़े नगर निगम के हाउस टैक्स डिपार्टमेंट में दर्ज हैं। शहर के कितने मकानों में किराएदार रहते हैं? इस बात का कोई रेकार्ड नगर निगम के किसी भी डिपार्टमेंट के पास नहीं है। कितने मकानों में कितने किराएदार हैं, इस बात की सूचना भी प्रशासन के पास नहीं है। ऐसे में प्रशासनिक अफसर व नगर निगम यह बता पाने में असमर्थ है कि कितने मकान में किराएदार रखे जाते हैं। जबकि दबी जुबान मौखिक रूप से अधिकारी खद यह मानते हैं कि यहां 90 प्रतिशत भवनों में मालिकों द्वारा किराएदार रखे जाते हैं। यहां मकानों में किराएदारों को रखकर पैसा कमाना एक अप्रत्यक्ष व्यापार का रूप ले-चुका है। तमाम ऐसे मकान मालिक हैं जिनके पास केवल मकान के किराए से हार साल लाखों रुपये आते हैं। चूंकि कहीं लिखा पढ़ी में कुछ होता नहीं, लिहाजा इनकी इस आय पर न तो इनकम टैक्स की नजर होती है और न ही प्रशासन की। किराएदारों से हर महीने अच्छी खासी कमाई करने के बावजूद मकान मालिक समय से नगर निगम में हाउस टैक्स जमा करने से कतराते रहते हैं।

बगैर जांच किराएदारी से है बड़ा खतरा
कई बार ऐसा हो चुका है जब शातिर अपराधी बाहर से आकर यहां किराए पर कमरा लेकर महीनों व वर्षों रहा करते हैं। पुलिस के द्वारा किराए के मकानों में अपराधी बतौर किराएदार पकड़े भी जा चुके हैं। कमरे या मकान से किराए के रूप में मालिकों को क्रिमिनल मुंह मांगी रकम दे देते हैं। ऐसे में मकान मालिक बगैर पुलिस या प्रशासन को खबर दिए किसी भी किराएदार को अपने घर में रख लेते हैं। वह किराए पर रहने वाला व्यक्ति कौन है? उसकी आम छवि क्या है? यह सब पता लगाना भी मकान मालिक मुनासिब नहीं समझते। ऐसी स्थिति में कोई भी कहीं से भी आकर यहां आराम से किराए पर कमरा लेकर अनाह ले सकता है। मकान मालिक किराएदारों का सत्यापन कराने के लिए स्थानीय पुलिस को भी कोई खबर नहीं देते। ऐसा इस लिए ताकि उनकी इस अप्रत्यक्ष कमाई के बारे में प्रशासन को कोई जानकारी नहीं हो।

थानों में बना रजिस्टर फांक रहा धूप
लोगों के घरों में किराए पर रहने वालों के सत्यापक को लेकर कुंभ के दौरान पुलिस कमर कसी थी। यह सत्यापन कराए जाने के पीछे पूर्व में यहां किराए के कमरे में रहने वाले पकड़े गए शातिर अपराधी भी एक बड़ी वजह थे। पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर हर थाने में सत्यापन रजिस्टर बनाया गया। निर्देश दिए गए कि जो मकान मालिक किराएदार रखे वह खुद किराएदार का आधार व मोबाइल नंबर सत्यापन के लिए चौकी व थाने पर दे। निर्देश थे कि बीट के सिपाही व दरोगा भी बाहर से आकर यहां किराए पर रहने वालों के बारे में पता लगाएंगे। साथ ही उनके गृह जनपद के थानों में संपर्क करके उनके चरित्र के बारे में पता करेंगे। कुंभ के दौरान इस बात पर काफी जोर दिया गया था। कुछ दिन बाद पुलिस आई बात गई बात के तर्ज पर यह एक अहम काम भूल गई।

केस-1
शहर के अल्लापुर में झारखण्ड के गिरिडीह गांव से आकर साइबर ठगी व लूट करने वाले गैंग के सरगना विकास दास गुर्गों राकेश कुमार मंडल, मनीष कुमार मंडल, संतोष कुमार राय, गोविंद मंडल और करण कुमार मंडल के साथ किराए पर रहता था। एसएसपी को के नेतृत्व में टीम के द्वारा पूरे गैंग को पब्लिक की सूचना पर पिछले वर्ष नवंबर महीने में पकड़ा गया था। तत्कालीन एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने बताया था कि गैंग के पास से मोबाइल, लैपटॉप, चक बुक, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड व चाकू एवं तमंचा आदि बरामद हुआ है।

केस-2
मध्य प्रदेश में कत्ल की वारदात को अंजाम देकर आए तीन शातिर नैनी में गांजा माफिया के मकान में किराए पर रह रहे थे। तीनों शातिर यहां गांजा माफिया के नेटवर्क में आने के बाद गांजा सप्लाई भी किया करते थे। घर के अंदर एक महिला की हत्या के बाद यह मामला पुलिस के संज्ञान में आया था। पुलिस एक्टिव हुई तो माफिया व तीनों शूटर भाग निकले थे। घटना 2021 के मार्च महीने में हुई हुई थी।

किसके घर में कितने किराएदार हैं यह न तो कोई बताता है और न ही कभी ऐसी किसी जानकारी की जरूरत पड़ी। कुछ भवन कामर्शियल के दायरे में दर्ज हैं। जिनके बराबर टैक्स वसूला जाता है।
पीके द्विवेदी, मुख्य कर अधिकारी नगर निगम