प्रयागराज (ब्यूरो)।क्रिकेट के आगे बाकी खेलों का वैसे भी दम निकल रहा है। ऐसे में फुटबाल की तरफ खिलाड़ी कैसे मूव होंगे, जब उनके पास मुफीद मैदान तक नही है। बात हो रही है मदन मोहन मालवीय स्टेडियम की। यहां आने वाले फुटबाल के खिलाडिय़ों को एक मैदान की तलाश है, जहां पर वह प्रेक्टिस कर सकें। उनका कहना है कि ऊबड़-खाबड़ मैदान में प्रेक्टिस करने से उनको चोट लग रही है और घंटों पसीना बहाने का कोई फायदा भी नही हो रहा है।
शिकायत का भी फायदा नही
मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में
खिलाडिय़ों को खेलने के लिए मैदान नहीं है। इस समस्या से सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं कोच भी परेशान हैं। खिलाडिय़ों और कोचों ने संयुक्तरूप से अपने अधिकारी से इसकी शिकायत भी की है लेकिन नतीजा सिफर है। समस्या जस की तस बनी हुई है। कोच का कहना है कि हर बार अधिकारियों की तरफ से केवल आश्वासन मिलता है। कभी कोई सकारात्मक नतीजा सामने नही आया।मैदान नही होने से हो रहे चोटिल
खिलाडिय़ों का कहना है की उनके पास मे मैदान ही नहीं है तो अभ्यास कैसे करे। खिलाड़ी अभ्यास तो अपनी पूरी ताकत के साथ करते हैं। मगर उनको परिणाम मेहनत के मुकाबले कम मिलता है। फुटबाल के खिलाडिय़ों का कहना है। उनका मैदान घासयुक्त होना मगर उनके मैदान पर मिट्टी के अलावा और कुछ नहीं है। मजबूरी में खिलाडिय़ो को मैदान किनारे हार्ड सतह पर प्रैक्टिस करना पड़ रहा है। जिस वजह से बहुत से खिलाडिय़ो को टखनों से जुड़ी समस्याऐ हो रही है। प्रैक्टिस करते वक्त उनके उनके पैरों मे काफी झटके लगते है। जिस वजह से खिलाड़ी इंजर्ड हो रहे है। इस वजह से वो प्रैक्टिस ढंग से नहीं कर पा रहे है। ज्यादा समस्या उन खिलाडिय़ों को होती है जिन्होंने अभी से अभ्यास करना शुरू किया है।
यहां उम्र के हिसाब से लगती है फीस
मदन मोहन मालवीय स्टेडियम प्रशासन खिलाडिय़ों की सुविधा आपूर्ति मेंपूरी तरह से लड़खड़ाया हुआ है। एक ओर जहां एथलिटिक्स के खिलाडिय़ों को ट्रैक की समस्या है वहीं दूसरी ओर फुटबाल के खिलाडिय़ो को मैदान की समस्या है। 18 वर्ष से कम आयु वाले खिलाडिय़ो से 200 रूपए वार्षिक और 18 वर्ष से अधिक आयु वाले खिलाडिय़ो से 500 रूपए मासिक शुल्क लिया जाता है.इसके बाद भी स्टेडियम प्रशासन मैदान और ट्रैक नहीं बनवा पा रहा है। इस वजह से कई खिलाडिय़ों ने धीमे धीमे कर के मैदान से दूर होते जा रहे है।
यहां पर जो भी निर्माण हो रहा है। वो स्मार्ट सिटी के द्वारा किया जा रहा है। जिसमे फुटबाल का मैदान भी है। मैदान ऊबड़ खाबड़ जिस वजह से खिलाड़ी ठीक ढंग से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं।
संजय कुमार सिंह कोच
फुटबाल