प्रयागराज ब्यूरो । हत्याकांड को अंजाम देने वाले तीनो शूटर प्रदेश के तीन जिले से रखते हैं ताल्लुक
पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके सगे भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ की हत्या को अंजाम देने के लिए तीन जिलों के शूटर एक राय कैसे हुए? उनका मिलन कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ? क्या तीनों को किसी ने फुल प्रूफ योजना के तहत जुटाया? क्या इन तीनों को सिर्फ शूटर के तौर पर इस्तेमाल किया गया है? यह सवाल शनिवार की रात से ही जवाब मांग रहे थे। हर कोई कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए अंजाम दी गयी घटना के बाद उठे इन सवालों का जवाब चाहता था। रविवार को ऐसी स्थिति नहीं थी कि इस पर कोई जवाब आ सके। प्राइमरी तौर पर शूटर्स की ओर से जो बताया गया है उसके मुताबिक को उन्होंने खुद का नाम बड़ा करने के लिए यह जोखिम उठाया है। उनका यह बयान किसी के गले के नीचे नहीं उतर रहा है। पुलिस भी फिलहाल इन सवालों के जवाब में खामोश है।

कोर्ट ने मंजूर किया था कस्टडी रिमांड
उमेश पाल हत्याकांड में अतीक और अशरफ को रिमांड पर लेने के लिए धूमनगंज पुलिस ने 13 अप्रैल को सीजेएम कोर्ट में पेश किया था। दोनों को वारंट बी पर क्रमश: गुजरात की साबरमती और बरेली जेल से यहां लाया गया था। इस दिन एक नहीं दो बड़ी घटनाएं हुई थीं। जिस वक्त अतीश और अशरफ को कोर्ट में पेश किया जा रहा था लगभग उसी समय सूचना आयी थी कि यूपी एसटीएफ की टीम ने अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम को झांसी में हुई मुठभेड़ में मार गिराया है। असद और गुलाम का चेहरा उमेश पाल हत्याकांड में सामने आये सीसीटीवी फुटेज से बेनकाब हुआ था। 24 फरवरी को धूमनगंज एरिया के जयंतीपुर में हुए उमेश पाल हत्याकांड के बाद से पुलिस घटना को अंजाम देने वालों की तलाश में जुटी हुई थी। असद और गुलाम पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। बहरहाल एक तरफ यह घटना हुई और दूसरे तरफ कोर्ट ने अतीक और अशरफ को 96 घंटे की कस्टडी रिमांड मंजूर कर लिया।

एक दिन पहले ईडी का पड़ा था छापा
अतीक और अशरफ सीजेएम कोर्ट में पेश करने के लिए 12 अप्रैल को प्रयागराज लाये गये थे। इन दोनो को पुलिस ने देर शाम और रात में नैनी सेंट्रल जेल में दाखिल कराया था। इसी दिन सुबह भी एक बड़ी घटना हुई थी। इस घटना का कनेक्शन भी अतीक और अशरफ से जुड़ा था। यह घटना थी शहर के 15 बिल्डर्स और बड़े कारोबारियों के यहां एक साथ ईडी की छापेमारी की कार्रवाई। पिछले दो दशक के दौरान बिजनेस में सफलता की लम्बी छलांग लगाने वाले कारोबारियों के यहां छापे के दौरान तमाम डॉक्यूमेंट और कैश ईडी के हाथ लगा था। ईडी की तरफ से आफिशियल जारी की गयी रिलीज में बताया गया था कि कैश के अलावा फॉरेन करेंसी और डाक्यूमेंट जब्त किये गये हैं। करीब डेढ़ दर्जन सेल कंपनियों का भी पता चला था। यह कंपनियां तो दूसरों के नाम पर रजिस्टर्ड थीं लेकिन पैसा अतीक का लगा बताया गया था। इन कंपनियों की लिस्ट भी जारी कर दी गयी थी।

तो क्या अतीक उगल देता नाम
ईडी की कार्रवाई पूरी हो चुकी थी और रिपोर्ट में सेल कंपनियों का नाम भी सामने आ चुका था। यानी अतीक से इसके आधार पर पूछताछ होती तो संभव था कि कई ऐसे चेहरे बेनकाब हो जाते जिनके बारे में सोचना भी मुश्किल है कि वह भी अतीक की ब्लैकमनी को ह्वाइट बनाने में लगे हुए हैं। अतीक से पूछताछ के लिए तैयारी की गयी सवालों की सूची में इनसे जुड़ा कोई सवाल था नहीं? यह तो अतीक से पूछताछ करने वाली पुलिस की टीमें ही बता सकती हैं लेकिन शनिवार को अतीक अशरफ की एक साथ हत्या के बाद यह सवाल हर कॉमन मैन के जुबान पर था कि क्या किसी को बेनकाब होने का डर सता रहा था। ऐसा था तो यह कौन हो सकता है सियासत से जुड़ा हुआ कोई शख्स या फिर बड़े कारोबारी? इसे लेकर भी पब्लिक के बीच चर्चा रही। इसके साथ ही यह भी जुड़ा रहा कि क्या रसूख बचाने के लिए लाबिंग हो गयी और टारगेट फिक्स करके टास्क शूटर्स को सौंप दिया गया?

कुछ लोचा तो है
्रउपरोक्त सवालों के जवाब आएंगे भी या नहीं? यह बता पाना मुश्किल है। पुलिस ने फिलहाल तीनो शूटर्स को जेल में दाखिल करा चुकी है। अभी तक तो उन्होंने कुछ ठोस ऐसा बताया नहीं है जो किसी के गले के नीचे उतरे। इस स्थिति में पूरी संभावना है कि पुलिस तीनों को रिमांड पर लेगी। इसके बाद होने वाली पूछताछ से ही पता चलेगा कि कौन था जिसने बांदा जिले के रहने वाले लवलेश तिवारी, हमीरपुर जिले के रहने वाले मोहित उर्फ सनी पुराने और कासगंज जिले के रहने वाले अरुण कुमार मौर्या से सम्पर्क साधा था। उनके लिए असलहा और कारतूस का बंदोबस्त किसने किया था। मीडिया के कार्ड किसने अरेंज कराये। बाइक कहां से मिली?