प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज। ये मानवीय असंवेदनशीलता की हद है। पुलिस या प्रशासन के अफसर खबरों से वास्ता नहीं रखते या फिर खबरों से शायद उनका कोई लेना देना ही नहीं है। शहर में अफसरों की भरमार है। मगर किसी भी अफसर की नजर इस गंभीर होती समस्या पर नहीं पड़ रही है कि शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाला नया यमुना पुल बदनुमा दाग में तब्दील हो गया है। नया यमुना पुल सुसाइड प्वाइंट बन गया है। हाल ये है कि आए दिन जिंदगी से आजिज लोग नए पुल से छलांग लगा दे रहे हैं। मगर प्रशासन और पुलिस के अफसरों की नजर सुसाइड प्वाइंट बने नए यमुना पर नहीं पड़ रही है। जबकि आए दिन पुल से कूदने की घटनाएं हो रही हैं। पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार अफसर अगर चेत लें तो शायद सुसाइड प्वाइंट बन गए यमुना पुल को इस बदनुमा दाग से थोड़ी राहत मिल जाए।

देश का पहला छह लेन का पुल
यमुना पर 2004 में नया पुल बनाया गया। यह आधुनिक डिजाइन के साथ देश का पहला छह लेन वाला पुल है। इस पुल की लंबाई 1510 मीटर और चौड़ाई 250 मीटर है। इसका निर्माण सन 2000 में शुरू किया गया, जबकि निर्माण कार्य 2004 में पूरा हुआ।

सेल्फी लेने के लिए पहुंचते हैं लोग
साल के आठ महीना नया यमुना पुल सेल्फी प्लवाइंट बना रहता है। गर्मी के मौसम को छोड़कर बारिश से लेकर ठंड के मौसम में रोजाना शाम को पुल से डूबते सूरज और यमुना का खूबसूरत नजारा देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ पुल पर जमा रहती है।

राहत लेकर आया पुल
नैनी और शहर को जोडऩे के लिए रेलवे का पुराना ब्रिज था। आबादी बढ़ी तो इस यमुना पर नए पुल की दरकार हुई। काफी प्रयास के बाद इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ। चार साल में पुल बनकर तैयार हो गया। पुल चालू हुआ तो लोगों को लंबे समय तब आवागमन में राहत रही। क्योंकि इसके बगल पुराने ब्रिज पर अक्सर जाम लग जाता था। मगर अब नया पुल भी जाम की चपेट में आने लगा है।

शाम को पहुंचते हैं शहरी
2004 में बनकर पुल तैयार हुआ तो आवागमन में राहत हो गई। पुल की खूबसूरती की वजह से शहरी यहां पर शाम को तफरी के लिए भी जाने लगे। मगर धीरे धीरे यह पुल सुसाइड प्वाइंट में भी तब्दील हो गया। जिसका नतीजा है कि अब आए दिन कोई न कोई पुल से छलांग लगाए रहता है।

तैनात की गई जल पुलिस
पुल से लगातार कूदने की घटना को पुलिस अफसरों ने गंभीरता से लिया। जिसका नतीजा रहा कि करीब दो साल से पुल के नीचे कीडगंज साइड जल पुलिस की टुकड़ी चौबीस घंटा तैनात रहती है। जल पुलिस के अलावा प्राइवेट गोताखोर भी रहते हैं। जल पुलिस के जवान और गोताखोर किसी के कूदने पर फौरन रेस्क्यू शुरू कर देते हैं। मगर दिक्कत तब होती है जब कोई पुल के बीचो बीच से छलांग लगाता है। जिसकी वजह से वह यमुना के गहरे पानी में समा जाता है। यमुना के किनारे से बीच तक पहुंचने में जल पुलिस और गोताखोरों को समय लग जाता है। इतनी देर में गहरे पानी में समाए लोगों को बचा पाना मुश्किल हो जाता है।

17 सौ लोग कूद कर गवां चुके हैं जांच
5 सौ लोगों की बचाई जा चुकी है जान
20 फीट गहरा पानी है यमुना के बीच में
8 गोताखोर और जल पुलिस के जवान रहते हैं तैनात
2004 में बनकर तैयार हुआ था पुल


कोट
नए यमुना पुल से आत्महत्या के लिए कूदने की घटनाएं चिंताजनक हैं। पुल से होने वाली ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लिया गया है। जल्द ही संबंधित विभागों के अफसरों के साथ बैठक करके इस गंभीर समस्या का समाधान निकाला जाएगा।
अभिषेक सिंह, एसडीएम सदर