प्रयागराज (ब्यूरो)। पिछले साल डेंगू के 1200 केस आफिशियली रजिस्टर्ड हुए थे और इसके कई गुना केसेज नजर में ही नही आए। 45 फीसदी तक मामले कछार एरिया के थे। इसको देखते हुए नगर निगम की टीम ने सर्वे किया था जिसमें यह पाया गया था कि घरों में बने बेसमेंट में जलभराव होने की वजह से डेंगू के मच्छर पनप रहे हैं। नगर निगम ने 40 ऐसे बेसमेंट चिंहित कर पंपिंग के जरिए उनका पानी बाहर निकाला था।
तब जाकर यहां पर स्थिति कंट्रोल हो पाई थी। कछार के इलाकों में नाली और नालों का अभाव है। ड्रेनेज सिस्टम नही होने से यहां साल भर जलभराव बना रहता है। खाली प्लाटों में घरों का पानी एकत्र होने लगता है। यहां बने मकानों में अधिकतर किराए पर छात्र रहते हैं। जबकि सामान रखने केलिए मकान मालिक बेसमेंट बनवा देते हैं। ऐसे में पानी निकासी का साधन नही होने की वजह से बारिश का पानी भी बेसमेंट में भरने लगता है। प्रशासन के पास फिलहाल इस समस्या से निपटने का कोई उपाय नही है।
डेंगू के लिए अनुकूल माहौल
बता दें कि डेंगू का मच्छर अपेक्षाकृत साफ पानी में पनपता है। यही कारण है कि बेसमेंट में उसे बेहतर स्थिति मिल जाती है और लार्वा आसानी से पनप जाते हैं। बाद में यह मच्छर लोगों का काटकर एक दूसरे में डेंगू के वायरस पहुंचाता है। जबकि मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में भी पनप जाता है। इसके अलावा डेंगू का मच्छर बर्तनों, गमलोंं, प्लास्टिक के ढक्कन, टायर आदि में भी जमे हुए पानी में आसानी से पनपता है। कूलर में रखा पानी भी इसका बड़ा रिसोर्स माना जाता है।
जिस तरह से बाढ़ का पानी बढ़ रहा है वह चिंताजनक हो सकता है। पिछले साल टीमों को लगाकर बेसमेंट साफ कराए गए थे। उनका पानी निकाला गया था। इस बार भी अगर पानी भरा तो डेंगू फैलने के लिए यह अनुकूल परिस्थिति बन सकती है। हालांकि हमलोग ऐसी जगहों पर स्प्रे कराना शुरू कर चुके हैं।
आनंद सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी प्रयागराज