प्रयागराज ब्यूरो मेडिको लीगल केसेज में डॉक्टर्स की गवाही को महत्वपूर्ण माना जाता है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान उनकी उपस्थिति जरूरी मानी जाती है। हालांकि इससे उनकी ओपीडी में समस्या होती है, साथ ही मरीजों को डॉक्टर नहीं मिलने से परेशान होना पड़ता है। इतना ही नहीं

डॉक्टरों के सुनवाई में उपस्थित नहीं होने से केस में भी अनावश्यक विलंब होता है। सबकुछ ठीक रहा तो भविष्य में इन तीनों समस्याओं का हल निकल आएगा। डॉक्टर्स की गवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी। जल्द ही इस प्रक्रिया की शुरुआत होने जा रही है।

स्थानीय स्तर पर प्लान तैयार

प्रदेश सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से डॉक्टरों की गवाही देने की योजना बनाई है। इसके लिए आदेश जारी किए गए हैं। जल्द ही व्यवस्था के संचालन के लिए स्थानीय स्तर पर कार्रवाई शुरू होने की उम्मीद है। सीएमओ को वीडियो कांफ्रेंसिंग के लिए स्थान का चयन करना है।

शहर से लेकर गांव के डॉक्टर करते हैं पीएम

पोस्टमार्टम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स को तैनात किया जाता है। शहर से लेकर गांव के अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात डॉक्टर्स लगाए जाते हैं। फिर इन्हे ही केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट में हाजिर भी होना पड़ता है। कभी कभी अन्य कारणों के चलते यह सुनवाई में नही पहुंच पाते हैं। जिससे केस की सुनवाई में भी विलंब होता है।

डॉक्टरों को मिलेगी राहत

फिलहाल अभी ये योजना पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर है। मगर इस योजना का क्रियान्वयन हो गया तो डॉक्टरों को बहुत राहत मिलेगी। डॉक्टरों का कहना है कि मेडिको लीगल केस में सुनवाई शुरू होने पर गवाही के लिए डॉक्टरों को बुलाया जाता है। अक्सर गवाही को लेकर जिरह बहस कई दिनों तक चलती है। जिस पर एक ही मामले में कई कई दिन तक कोर्ट जाना पड़ता है। इस दौरान दूसरे किसी केस की डेट लगने पर पूरा दिन कोर्ट में गुजर जाता है। या फिर एक मामले में गवाही का समय ज्यादा समय होने पर दूसरे केस में अनुपस्थिति पर कोर्ट में हाजिरी से माफी को लेकर माथा पच्ची करनी पड़ती है। सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती है जब डॉक्टर का ट्रांसफर किसी दूसरे जिले में हो जाता है तब गवाही के लिए उसे पूर्व तैनाती के जनपद में आना पड़ता है।

डॉक्टरों को नहीं मिलता भत्ता

क्रिमिनल केस में डॉक्टर की गवाही बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसे में डॉक्टर गवाही देने से बच नहीं पाते हैं। गवाही को लेकर कोई दिक्कत नहीं होती है, मगर कोर्ट में गवाही देने के लिए जाने जाने का खर्च डॉक्टर को स्वयं वहन करना पड़ता है। जिसका नतीजा है कि डॉक्टर परेशान हो जाते हैं।

डॉक्टरों की गवाही क्रिमिनल केस में महत्वपूर्ण होती है। डॉक्टरों के लिए यह राहत भरी योजना है। फिलहाल अभी ये योजना पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर है। उम्मीद है कि ये योजना सफल होगी। डॉक्टरों को सरकार की इस योजना से लाभ होगा।

डॉ.आशु पांडेय, सीएमओ प्रयागराज