प्रयागराज (ब्‍यूरो)। माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के सीन को गुरुवार को रीक्रिएट किया गया। सब कुछ वैसे ही किया गया जिस तरह से 15 अप्रैल को अतीक ब्रदर्स की हत्या हुई थी। इस सनसनीखेज मर्डर के सीन रिक्रएशन से एसआईटी के द्वारा घटना को समझने की कोशिश की गई। क्राइम ब्रांच के दो जवानों को अतीक और अशरफ का रोल दिया गया। अशरफ जींस और कुर्ते तो अतीक का किरदार अदा करने वाले जवान को पायजामा कुर्ता पहनाया गया। इस रिक्रएशन से पूर्व काल्विन हॉस्पिटल के गेट पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। गेट के अंदर किसी भी बाहरी व्यक्तियों के आने जाने पर रोक लगा दी गई। पुलिस के जवान गेट के अंदर मीडिया कर्मियों को जाने की इजाजत नहीं दे रहे थे। पुलिस की गाडिय़ों के हूटर पूरे इलाके में गूंज उठा।

5 मिनट में कत्ल और सरेंडर का ड्रामा
काल्विन हॉस्पिटल के गेट पर धूमनगंज इंस्पेक्टर व फोर्स अपनी गाड़ी से पहुंचे। गेट के अंदर पहले से ही प्लान के अनुरूप कुछ जवानों को मीडियाकर्मी बनाकर खड़ा कर किया गया था। एक बाइक को काल्विन हॉस्पिटल परिसर में पोर्च के सामने गिराकर बगल में दो बाइक खड़ी कर दी गई। सायरन बचाते हुए अतीक और अशरफ के किरदार में रहे दो जवानों को लेकर धूमनगंज थाना प्रभारी सुरक्षा के बीच हॉस्पिटल के गेट पर पहुंचे। गाड़ी के पहुंचते ही मौजूद एसआईटी और लखनऊ से आई एफएसएल की टीम अलर्ट हो गई। अतीक और अशरफ के किरदार में रहे दोनों जवानों को गाड़ी से उतरा गया। दोनों के हाथ हथकड़ी से बंधे हुए थे। पुलिस उन दोनों को गाड़ी से उतारी और सुरक्षा में रहे जवान दोनों को चारों तरफ से घेर लिया। क्राइम ब्रांच के दोनों जवान सिर पर ठीक उसी तरह साफा बांधे थे जैसे कि अतीक व अशरफ बांध रखा था। माफिया अतीक और अशरफ के अंदाज में दोनों गाड़ी से उतरे और धीरे-धीरे काल्विन गेट की तरफ बढऩे लगे। गेट के दाहिने स्थित टॉयलेट के ठीक सामने पहुंचते ही पहले से मीडियाकर्मी बनकर खड़े क्राइम ब्रांच के जवानों ने दोनों को घेर लिया। मीडियाकर्मियों की तरह सभी दोनों से उमेश पाल मर्डर केस और वांछित अभियुक्तों एवं बेटे असद के कत्ल को लेकर सवाल दागने लगे। इसी पहले अतीक कुछ बोला, इसके बाद अशरफ के शक्ल में रहे जवान ने जैसे ही वांछित पांच लाख के इनामी गुड्डू मुस्लिम का नाम लिया फर्जी मीडियाकर्मी बनकर खड़े तीन पुलिस के जवान फायरिंग शुरू कर दिए।
पिस्टल फेंककर खड़े कर दिये हाथ
शूटर लवलेश तिवारी के रूप में रहे शूटर ने पहली गोली अतीक अहमद के सिर पर दागी थी। इसके बाद दो अन्य शूटर मोहित उर्फ शनि पुराने व अरुण कुमार मौर्य के शक्ल में रहे जवान अशरफ को गोली मार दिए। गोली लगते ही अतीक और अशरफ का किरदार अदा कर रहे क्राइम ब्रांच के जवान जमीन पर मुंह के बल गिर पड़े। गिरने के बावजूद तीनों एक साथ दनादन फायरिंग करते रहे। अतीक ब्रदर्स की हत्या के बाद एक शूटर को दबोचकर उसके सिर पर कई जवान चढ़ गए। इंस्पेक्टर धूमनगंज एक शूटर को पीछे से कमर पकड़ कर दबोच लिए। तब तक तीसरा शूटर भी पिस्टल फेक कर हाथ ऊपर किया और सरेंडर-सरेंडर चिल्लाने लगा। पुलिस के जवान उसे भी दबोच लिए। इस पूरे सीन को क्रिएट करने की तैयारी में घंटों का वक्त लगा। मगर, अतीक व अशरफ के गाड़ी से उतरकर गेट के अंदर जाने और हत्या एवं शूटरों के सरेंडर करने तक में पांच मिनट से भी कम वक्त लगा। इस तरह एसआईटी और एफएसएल लखनऊ की टीम के द्वारा सीन रिक्रएट करके वारदात को समझने की कोशिश की गई।

सीन रीक्रिएशन व रियल कत्ल में अंतर
अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के सीन रिक्रएशन में और रियल कत्ल में कई तरह के अंतर रहा।
दोनों की हत्या काल्विन हॉस्पिटल गेट के अंदर रात में हुई थी।
जबकि एसआईटी के द्वारा सीन रिक्रएशन दिन में करीब तीन बजे किया गया।
सीन रिक्रिएशन में रियल वारदात से एक और अंतर नजर आया।
कत्ल के बाद शूटर जय श्री राम का नारा लगाए थे। जबकि क्रिएट किए गए सीन में शूटर्स यह नारा नहीं लगाए।
स्पॉट के आसपास कौतूहलवश जुटे लोगों का कहना था कि सीन रिक्रएशन का ड्रामा करने की जरूरत क्या थी जब पूरी घटना का लाइव वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।
अब उन्हें कौन बताए कि सीन रिक्रएशन किसी भी बड़ी घटना में जांच का एक अहम पार्ट होता है।
इसके जरिए अधिकारी घटना के कई बिन्दुओं को समझने की कोशिश करते हैं।