प्रयागराज ब्यूरो । डिजिटल वल्र्ड के इस जमाने में युवाओं को डिजी लॉकर जमकर भा रहा है। वह अपने निजी और कीमती डाक्यूमेंट्स को इसी लॉकर में रखना पसंद कर रहे हैं। उनके मुताबिक यह पूरी तरह सेफ है और इसमें किसी प्रकार की किसी शर्त का भी पालन नहीं करना है। इतना ही नहीं, बाजार से फिजिकल गोल्ड खरीदने के बजाय युवा गोल्ड बांड में पैसा निवेश करने में अधिक विश्वास रख रहे हैं। दूसरी ओर सरकार की नई गाइड लाइन के चलते बैंकों में बीस फीसदी लॉकर बेकार हो चुके हैं। इनको आपरेट करने वालों ने बैंक के साथ एग्रीमेंट साइन नहीं नही किया है।

न चोरी होने और न खोने का डर
डिजी लॉकर एक वर्चुअल लॉकर है और इसका इस्तेमाल अपने डॉक्यूमेंट्स को ऑनलाइन स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसके जरिए सभी सरकारी और निजी दस्तावेजों को डिजिटल फार्म में रखा जा सकता है। युवाओं में डिजी लॉकर का जबरदस्त क्रेज है। वह अपने डीएल, पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट सहित शेयर और बांड जैसी डिटेल्स को भी इसी लॉकर में सेव स्टोर कर रहे हैं। डिजी लॉकर बनाने के लिए आधार कार्ड का होना जरूरी है। इसमें रखे डाक्यूमेंट्स को न तो खोने और न ही चोरी होने का डर है।

गोल्ड बांड में पैसा लगाने की होड़
हाल ही में सरकार ने सोवरेन गोल्ड बांड में निवेश करने का मौका दिया था। इसमें युवाओं ने सबसे ज्यादा इंट्रेस्ट लिया। बिजनेसमैन राहुल सिंह ने बताया कि घर पर फिजिकल सोना रखना आसान नहीं है। चोरी और छिनैती का डर रहता है। फिजिकल गोल्ड वापस करने जाओ तो दस फीसदी सोनार काट लेता है। गोल्ड बांड में 99.9 फीसदी शुद्ध सोना मिलता है। मेकिंग चार्ज नही लगता। छह माह में 2.4 फीसदी ब्याज मिलता है। शेयर ब्रोकर अखिलेश ने कहा कि उन्होंने 80 हजार रुपए सांवरेन गोल्ड बांड में इनवेस्ट किया है। डीमैट एकाउंट होने की वजह से सोने की सुरक्षा की चिंता नही है। इसमें आठ साल का मैच्योरिटी पीरियड होता है। उन्होंने कहा कि वह निवेश करने के बाद पूरी तरह से निश्चिंत हैं।

इसलिए बंद हो रहे बैंकों के लॉकर
दूसरी ओर ग्राहक बैंकों के लॉकर को लेकर नए नियमों से ज्यादा संतुष्ट नही हैं। इसका असर भी दिखने लगा है। विभिन्न बैंकों में बीस फीसदी लॉकर अनआपरेटिव साबित हो गए हैं, क्योंकि 31 दिसंबर तक की गाइड लाइन के तहत ग्राहकों ने बैंकों के साथ एग्रीमेंट साइन करना जरूरी नहीं समझा। जबकि इन लॉकर्स में वह अपना सोना, चांदी, जरूरी कागजात आदि रख सकते थे। बावजूद इसके उन्होंने इंट्रेस्ट नही लिया। वह लॉकर से जुड़ी अपनी गोपनीयता को भंग नही करना चाहते हैं। हालंकि बैंकों के लॉकर का किराया भी सालाना दो से तीन हजार के बीच है। फिर भी अब लोग डिजी लॉकर पर अधिक भरोसा दिखा रहे हैं।

ऐसे बनेगा नया एकाउंट
डिजी लॉकर का नया एकाउंट बनाने के लिए आधार नंबर और ओटीपी देना होगा। इसके लिए डिजी लॉकर की अधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करना हागा। डिजी लॉकर एकाउंट में लॉग इन करने के लिए अपने यूजर नेम ओर पासवर्ड का इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि डिजी लॉकर एकाउंट बनाने के लिए आधार कार्ड होना बेहद जरूरी है।


यह बेस्ट आप्शन है। फिजिकल लॉकर भी सही है लेकिन डिजी लॉकर अधिक सेफ है। इसमें अपने जरूरी डाक्यूमेंट रखिए और जरूरत पडऩे पर मोबाइल पर एक्सेस कर लीजिए। मेरा खुद का डिजी लॉकर है और इसका यूज भी करता हूं।
आशीष मिश्रा

यह डिजिटल वल्र्ड का समय है। लोग अपनी चीजों को सेफ रखना चाहते हैं। वह नहीं चाहते कि उनकी अनमोल चीज किसी के हाथ लगे या कोई उसका दुरुपयोग करे। यही कारण है कि लोग डिजी लॉकर का यूज कर रहे हैं।
जय कुमार


मैंने सांवरेन गोल्ड बांड में इनवेस्ट किया है। यह काफी सेफ है। आपका सोना पूरी तरह से सुरक्षित है और हर साल इसका ब्याज भी मिलेगा। घर पर सोना सुरक्षित नहीं रहता और उसकी रिसेल वैल्यू भी कम हो जाती है।
आलोक शुक्ला
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हमारे यहां बीस फीसदी लॉकर अपआपरेटिव हुए हैं। जो लोग इनको यूज कर रहे थे उन्होंने इसका एग्राीमेंट साइन नही किया। अब पेपर पब्लिकेशन कराकर इन लॉकर्स का पंचनामा किया जाएगा। सामान सुरक्षित रख सभी लॉकर्स दोबारा यूज में लाए जाएंगे।
समीर गांधी, चीफ मैनेजर, एसबीआई मेन ब्रांच प्रयागराज