प्रयागराज (ब्यूरो)। बसंत पंचमी स्नान के बाद हर साल शहरी मेला घूमने निकलते हैं। इसके पहले ग्रामीण अधिक संख्या में मेला में आते हैं। यही कारण रहा कि रविवार को हजारों की संख्या में शहरी लोग मेले में पहुंच गए। गुनगुनी धूप निकलने की वजह से लोगों के उत्साह में चार चांद लगा रहा। इनके वाहनों की वजह से मेले से लेकर आसपास के एरिया में भीड़ बढ़ गई। दोपहर में ऐसा लगा कि ट्रैफिक मैनेजमेंट पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। लेकिन ऐन मौके पर पुलिस ने मोर्चा संभाला और वाहनों को धीरे धीरे पास कराया।
यहां पर लगा रहा जाम
सबसे ज्यादा रश सोहबतियाबाग से चुंगी के बीच रहा। यहां पर वाहन रेंगते रहे। मेला जाने वालों के चार पहिया वाहनों की वजह से सड़क पूरी तरह से जाम हो गई। इसी तरह बैरहना से चुंगी तक भीषण जाम लगा रहा। झूंसी पुल से मेला जाने वाली सड़क तक भी बड़ी संख्या में वाहन फंसे रहे। यह सिलसिला पूरी दोपहर तक चलता रहा। देर शाम के बाद धीरे धीरे जाम से राहत मिली। दोपहर में बढ़ती भीड़ को देखकर पुलिस को वाहनों को मेले के बाहर ही पार्क करवाना पड़ा।
बच्चों ने झूले के साथ बिताया समय
मेले में पहुंचे युवा, महिलाओं और बच्चों ने जमकर लुत्फ उठाया। उनका सबसे ज्यादा समय फन जोन पर बीता। उन्होंने झूला झूलने में कोई कसर नही छोड़ी। इसके साथ ही फूड स्टाल पर तरह तरह का जायका लिया। शॉपिंग में पैसे भी खर्च किए और अपनी पसंद के सामान घर ले गए। इसके बाद संगम पर भी लोगों ने समय बिताया। साइबेरियन पक्षियों को दाना खिलाने के साथ लोगों ने नाव और स्टीमर की जमकर सैर की।
अचला सप्तमी पर लगाई डुबकी
अचला सप्तमी पर रविवार को शहर से संगम तक कथा-पूजन, दान पुण्य और स्नान का दौर चला। इसे संतान सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य उपासना का विशेष महत्व होता है, इसलिए माघ मेला क्षेत्र में कल्पवासियों ने भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनी। संगम में स्नान के लिए शनिवार को ब्रह्ममुहूर्त से ही स्नानार्थियों का हुजूम जुटा तो दोपहर बाद तक लोगों की संख्या कम नहीं हुई। इस अवसर पर गुरुओं को सामथ्र्य के अनुसार दान व दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया।