प्रयागराज (ब्यूरो)। हॉस्पिटलों में आग लगने की घटनाएं यहां भी कई हो चुकी हैं। आग की यह घटनाएं हॉस्पिटलों में फायर सेफ्टी के इंतजाम की पोल खोलने के लिए काफी थीं। फिर भी यहां अस्पतालों में फायर मशीनों की जांच में अब तक सख्ती नहीं बरती गई। अब, जब झांसी मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में आग की बड़ी घटना हुई तो अफसरों की नींद टूट गई। घटना से सबक लेते हुए जिला प्रशासन एडमिट शिशुओं की सुरक्षा को लेकर अलर्ट मोड में आ गया है। शनिवार को फायर ब्रिगेड के अफसरों द्वारा जांच के लिए आठ टीमें गठित कर दी गईं। एक प्राइवेट हॉस्पिटल में टीम के द्वारा उपकरणों की जांच भी की गई।
शहर से गांव तक चेकिंग
झांसी मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में एडमिट कई बच्चों की मौत हो गई। यह खबर शनिवार को जंगल में आग की तरफ फैली। अखबारों और टीवी चैनलों एवं सोशल मीडिया पर यह खबर देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। सुबह होते ही यहां गांव से लेकर शहर तक चाइल्ड हॉस्पिटलों में फायर सेफ्टी को लेकर प्लान तैयार करने में अधिकारी जुट गए। मुख्य अग्नि शमन अधिकारी ने जांच के लिए कुल आठ टीमें गठित कर दी। सभी टीमों को अलग-अलग क्षेत्रों में जांच की जिम्मेदारी दी गई है। इस बीच यह परखा जाय कि हॉस्पिटल में फायर इक्यूमेंट लगे हैं या फिर नहीं। यदि लगे हैं तो वह काम कर रहे हैं अथवा शोपीस बनकर रह गये हैं। अफसरों ने कहा है कि जिस भी शिशु हॉस्पिटल में खामी पाई गई वहां उस पर सख्ती के साथ एक्शन लिया जाएगा। हॉस्पिटल के लाइसेंस को फायर सेफ्टी के पुख्ता प्रबंध होने तक कैंसिल कराने के लिए फायर अफसर सीएमओ को भी पत्र लिखेंगे।
चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में सब बच गये थे
सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में पीकू वार्ड में दो साल पहले आग लगी थी। वर्ष 2022 में 25 जुलाई को यह घटना रात के वक्त हुई थी। उस वक्त वार्ड में कई बच्चे एडमिट थे। करीब 120 बेट के इस हॉस्पिटल में अमूमन भर्ती मरीजों की संख्या 100 के आस पास रहती ही है। गनीमत यह थी कि जिस दिन आग लगी थी पीकू वार्ड में करीब दस बच्चे भर्ती थे। जैसे ही वार्ड में आग लगी परिजन बच्चों को लेकर शोर मचाते हुए भाग निकले थे। झांसी और उस वक्त यहां हुई घटना में फर्क इतना है कि चिल्ड्रिेन हॉस्पिटल के पीकू वार्ड में भर्ती सभी बच्चे बाल-बाल बचे गए थे। तब से आज तक इस हॉस्पिटल में फायर उपकरणों की जांच करने कोई नहीं पहुंचा।
बचाई थी पांच की जान
कचहरी के पास हवाई जहाज चौराहे के बगल मदर एण्ड चाइल्ड केयर की ओटी में शार्ट सर्किट से भीषण आग लग गई थी। जिस वक्त 15 दिसंबर 2021 को यहां पर घटना हुई थी उस समय चार बच्चे एडमिट थे। आग से पूरे हॉस्पिटल में अफरा तफरी मच गई थी। सूचना पर पहुंचे फायर ब्रिगेड के जवानों को आग बुझाने में घंटों मशक्कत करनी पड़ी थी। बच्चों को लेकर परिजन व हॉस्पिटल के लोग भागकर जान बचाए। भर्ती बच्चों को फौरन पास में स्थित एक दूसरी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया था। थर्ड फ्लोर पर फंसे डॉक्टर के परिवार सहित पांच लोगों को रेस्क्यू करके जवानों ने बचाया था।
ऑपरेशन के दौरान लगी आग
एसआरएन हॉस्पिटल के अर्थोपेडिक विभाग के ओटी-वन में भी शार्ट सर्किट से आग लगने की घटना यहां हो चुकी है। सुबह करीब बजे जब आग लगी थी उस समय एक मरीज का ऑपरेशन चल रहा था। गनीमत यह रही कि डॉक्टरों व कर्मचारियों की सतर्कता से मरीज की जान बच गई। वर्ना इस घटना में मरीज की जान भी जा सकती थी। घटना से पूरे हॉस्पिटल में हड़कंप मच गया था। इस घटना के बावजूद मरीजों की सुरक्षा को लेकर आज तक फायर ब्रिगेड के जरिए उपकरणों की जांच नहीं की जा सकी है। वर्षों पुराने लगे फायर सेफ्टी उपकरण चल रहे हैं या नहीं, ऐसी स्थिति में यह बता पाना संभव नहीं है।
झांसी की घटना को देखते हुए यहां हॉस्पिटलों खासकर बच्चों के अस्पतालों में फायर सेफ्टी की जांच के लिए टीमें गठित की गई हैं। यह टीमें गांव से शहर तक जांच कर रिपोर्ट देंगे। उसी के आधार पर एक्शन लिया जाएगा।
आरके पांडेय
मुख्य अग्निशमन अधिकारी