प्रयागराज ब्यूरो । वेस्टर्न डांस के दीवाने चाहे जितने भी हो जाएं लेकिन क्लासिक डांस की बात ही अलग है। यह सभी प्रकार के डांस की आत्मा है। अगर आप क्लासिक डांस में निपुण हैं तो किसी भी प्रकार के डांस को आसानी से सीख सकते हैं। इसी सोच के साथ दर्जन प्रशिक्षु रविवार को एनसीजेडसीसी में आयोजित भरत नाट्यम की कार्यशाला में पहुंचे थे। यह कार्यशाला 27 नवंबर तक आयोजित की जाएगी और इसमें प्रशिक्षुओं को क्लासिक डांस के बारे में बताया जाएगा।
क्लसिकल डांस के महत्व पर चर्चा
एनसीजेडसीसी में आयोजित भरतनाट्यम कार्यशाला में शहर के लगभग 50 से 60 लोग नृत्य की कला को सीखने और अभ्यास करने के लिए हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान वर्कशॉप संचालिका प्रांतिका मुखर्जी ने क्लासिकल डांस के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि आजकल के बच्चों में पश्चिमी नृत्य का आकर्षण ज्यादा है, क्योंकि इन्हें सीखने में कम समय लगता है और यह सोशल मीडिया व टीवी पर भी अधिक प्रचारित होते हैं। भरतनाट्यम जैसी शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा से जुड़ी हैं, अक्सर उपेक्षित होती हैं।
शास्त्रीय नृत्य का महत्व
कार्यशाला में बताया गया कि शास्त्रीय नृत्य जैसे भरतनाट्यम, कथक, मणिपुरी, ओडिसी आदि नृत्य रूपों का ग्रामर (कायदा) बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह न केवल नृत्य की बारीकियों को समझने में मदद करता है, बल्कि नृत्य कला में गहरी समझ और भावना को जोड़ता है। ्रकिसी भी प्रकार का नृत्य सीखने के लिए शास्त्रीय नृत्य को सीखना अनिवार्य है, क्योंकि यह कला को सही तरीके से प्रस्तुत करने की नींव तैयार करता है।
बच्चों में बढ़ती रुचि
भरतनाट्यम कार्यशाला में हिस्सा ले रहे बच्चों में इस शास्त्रीय कला के प्रति गहरी रुचि देखने को मिल रही है। कई बच्चे जो पहले इस कला से अपरिचित थे, अब इसे सीखने के लिए उत्साहित हैं। यह देखकर साफ पता चलता है कि भारतीय नृत्य का भविष्य सुरक्षित है, बशर्ते इसे सही दिशा में बढ़ावा दिया जाए।
कई कलाकारों ने इस कला को अपने पेशे के रूप में अपनाया है और वर्षों से इसे अभ्यास करते हुए न केवल स्वयं प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि नए कलाकारों को भी इस दिशा में मार्गदर्शन दे रहे हैं, जिससे न केवल इस कला रूप का संरक्षण हो रहा है, बल्कि कलाकार भी इससे आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।
हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा हुआ शास्त्रीय नृत्य, खासकर भरतनाट्यम, को बढ़ावा देना चाहिए और इसे सिखाना चाहिए.यह नृत्य न केवल हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, बल्कि यह नृत्य की बुनियादी समझ को भी सिखाता है। जो किसी भी अन्य नृत्य को सीखने में मदद करता है। पश्चिमी नृत्य का प्रभाव जितना भी बढ़े, लेकिन हमें अपनी भारतीय संस्कृति से जुड़े शास्त्रीय नृत्य को हमेशा बनाए रखना चाहिए.यह नृत्य हमारे इतिहास और परंपरा से जुड़ा हुआ है, और इसे बढ़ावा देकर हम इसे आने वाली पीढिय़ों तक पहुंचा सकते हैं ताकि यह कभी समाप्त न हो और बच्चे इसे सीखें और सहेजें।
- प्रांतिका मुखर्जी, प्रोफेशनल भरतनाट्यम डांसर
मैं लगभग तीन साल से भरतनाट्यम सीख रही हूं। बचपन से ही मुझे इस नृत्य में रुचि थी और मेरा सपना है कि मैं एक पेशेवर डांसर बनूं। इस नृत्य से मुझे कई महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिली हैं, लेकिन सबसे बड़ी चीज़ यह है कि इस नृत्य ने मुझे धैर्य और समर्पण सिखाया है.भरतनाट्यम में बहुत समर्पण की जरूरत होती है और इसे सीखने के लिए हमें धैर्य रखना पड़ता है.इस नृत्य से मुझे भारतीय संस्कृति को और करीब से जानने का मौका मिला है।
अंजलि
मैं हाल ही में भरतनाट्यम सीख रहा हूं।
मैंने इसे इसलिए चुना ताकि इस भारतीय कला रूप को आगे बढ़ाया जा सके.मैं इसे सीखकर दूसरों को भी सिखाना चाहता हूँ.मेरा मानना है कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, जिसे हमें कभी नहीं छोडऩा चाहिए। हमें इसे सीखना चाहिए और इसे आगे बढ़ाना चाहिए.मुझे शास्त्रीय नृत्य में गहरी रुचि है, क्योंकि इस नृत्य में कई ऐसी बातें हैं जो वास्तविक जीवन में भी हमें महत्वपूर्ण सीख देती हैं।
साहिल कुमार