प्रयागराज (ब्यूरो)। प्रयागराज जंक्शन से आधा किलोमीटर दूर लीडर रोड समीप रेलवे कॉलोनी के पास लाउंड्री है। यहां रेलवे कोचों से आने वाली गंदी चादरों को धोने का काम होता है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट टीम शुक्रवार दोपहर यहां दाखिल हुए। यहां काम मांगने के फिराक में एक मजदूर बनकर पहुंचा। यहां उसको काम करने का तरीका सिखाया जा रहा था। काम समझने के साथ-साथ सतर्क निगाहों से चारों तरफ रिपोर्टर देख रहा था। गंदी चादरों के ग_र खोलने, धुलने और उन्हें प्रेस करने का काम हो रहा था। इस दौरान रिपोर्टर अपने गुपचुप ढंग से वीडियो को भी बना रहा था। तभी देखने में आया कि कुछ चादरों को बिना धुले ही डायरेक्ट प्रेस मशीन पर रखा दिया जा रहा था। पूछने पर एक स्टाफ ने बताया कि जिस चादर पर धब्बे नहीं है। उसको धुलकर वॉशिंग पाउडर, पानी, बिजली व तमाम चीजों को बर्बाद करने की क्या जरूरत है। सिर्फ प्रेस कर नए पैकेट में फटाफट पैकिंग हो जाता है। इस पूरे हो रहे कार्य के दौरान रेलवे का स्टाफ तक मौजूद था। जिसको इस कार्य के देखरेख के लिए रखा गया है। तब यह आलम है।
गुटखा तक खा कर काम रहे लोग
लॉन्ड्री के अंदर पान-गुटखा और सिगरेट पीना मना है, लेकिन यहां काम करने वाले मजदूर चोरी-छिपे अंदर गुटखा और तंबाकू खाकर काम करते मिले।
इस पूरे स्टिंग ऑपरेशन व पड़ताल के बाद रिपोर्टर ने स्किन एक्सपर्ट डा। शक्ति वसु और डा। अरूण गुप्ता और सांस के रोगों के सीनियर विशेषज्ञ डा। राजीव सिंह से बात की। उन्होंने कहा कि ऐसी गंदी चादर व कंबल से बैक्टीरियल, फंगल और केबीज इंफेक्शन हो सकता है। इनमें से कुछ संक्रमण ऐसे हैं जो एक व्यक्ति को होने से पूरे परिवार को हो जाते है। पुराने बिस्तर-चादरों में ड्रॉपलेट संक्रमण जिंदा रहते है। इससे एलर्जी और सांस के रोग होने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
एक मशीन में चार सौ से पांच तक धुलता है चादर
इस दौरान देखा गया कि एक वॉशिंग मशीन में चार सौ से लेकर पांच सौ तक चादर की धुलाई एक साथ हो रही थी। यहां रोजाना हजारों की संख्या में गंदी चादरें डप होते है।
अगर धुलाई में लापरवाही बरती जा रही है तो यह ठीक नहीं है। रेलवे अपने यात्रियों की सुविधा का खास ख्याल रखता है। इसको अपने स्तर से चेक कराया जाएगा।
वर्जन - हिमांशु शेखर उपध्याय, सीपीआरओ एनसीआर
चादर, कंबल व तकिया का कवर की धुलाई अच्छे से की जाती है। ज्यादा गंदे दिखने वाले चादरों को दो बार वॉश किया जाता है। कहां चूक हो रही है इसको उस समय मौजूद स्टाफ से पूछा जाएगा।
दिनेश कनौजिया, वॉशिंग प्लांट ठेकेदार