प्रयागराज (ब्यूरो)। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे चंद लोगों की मानें तो इतना बड़ा बवाल वह भी पुलिस की मौजूदगी में अचानक संभव नहीं नहीं है। प्लान के तहत ही घेर कर पुलिस पर पथराव व आगजनी का खाका पहले ही तैयार किया गया रहा होगा। अराजकतत्वों को अच्छी तरह मालूम था कि पुलिस बालकों व कम उम्र के पत्थरबाजों पर सीधे गोली नहीं चला सकती। उन पर लाठियां बरसाने में भी पुलिस को एक दफा सोचना पड़ेगा। कानून और नियमों से बंधी पुलिस की इन्हीं मजबूरियों को बवाल की स्क्रिप्ट गढऩे वाले शातिर ने अपना हथियार बना लिया था। शातिर अपने इस मकसद में पूरी तरह काम याब भी रहे। बवाल की जिस स्क्रिप्ट को उन लोगों ने तैयार किया था उस पर उनका निशान सटीक लगा। बवाल व उपद्रव करने के लिए इन बालकों व युवाओं को उकसाने वाले को अच्छी तरह पता था कि पुलिस पर एक तरफ से हमला करके वह कामयाब नहीं हो सकते। इसी तरह पथराव करने वालों को बाकायदे गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग दी गई थी। ताकि पुलिस एक तरफ पत्थरबाजों पर कार्रवाई के लिए बड़ी तो पीछे वाली गलियों से झुण्ड में निकल कर उन पर पथराव किया जा सके। इसी पूरे प्लान के तहत शुक्रवार को अटाला में बवाल की वारदात को अंजाम दिया गया।
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