प्रयागराज (ब्यूरो)। एमआरआई कराने के दौरान डाक्टर मरीजों को डाई इंजेक्शन लगाता है। ताकि पता चल सके कि किस जगह पर क्या बीमारी है। अंदर की चीजें क्लियर दिखाई पड़े। यहां मरीज एमआरआई के लिए दो हजार रुपये फीस भी जमा करता है और मरीज से डाई इंजेक्शन बाहर से खरीद कर लाने के लिए कहा जाता है। ऐसे में मरीजों का एक एमआरआई कराने के लिए साढे तीन हजार रुपए खर्च करना पड़ रहा है। इतना पैसा खर्च करने के बावजूद फिल्म मोबाइल पर फोटो खींचकर दी जाती है। पूछने पर मरीजों को बजट न मिलना बताया जाता है। सबसे बड़ी दिक्कत उनके साथ होती है। जिनके पास मोबाइल फोन नहीं होता है।

डेढ़ महीने बाद का मिलता है नंबर
इस अस्पातल में एमआरआई के लिए मरीज को एक व डेढ माह इंतजार करना होता है।
अभी रजिस्ट्रेशन कराने पर जुलाई अंतिम या फिर अगस्त के शुरुवात तक इंतजार करना पड़ता है।
अगर कोई वीआईपी या किसी डाक्टर का बेहद करीबी है तो नंबर फौरन मिल जाता है।
यह ही नही डाक्टरों को अस्पातल से मिलने वाले अल्ट्रासाउंड की जांच रिपोर्ट पर भी कम भरोसा है।
सही अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर के स्कैनिंग सेंटर से कराने को कहा जाता है।

आम नहीं खास के लिए सब सुविधा
एसआरएन अस्पातल के अंदर मिलने वाली सुविधाएं किसी से छिपा नहीं है। सूत्रों की माने तो फिल्म बची हंै। लेकिन, संख्या बहुत कम है। अगर कोई खास आता है तो उसको फिल्म तक मिल जाता है। एसआइसी तक की सुविधा असानी से मिल जाती है। यहां डाक्टर हो या स्टाफ, सब चेहरा देखकर सुविधा मुहैया कराते है।

फैमली मेंबर के सदस्य का एमआरआई हुआ है। रिपोर्ट मांगने पर मोबाइल साथ लेकर आने को कहा गया। फोटो खींचकर रिपोर्ट मोबाइल पर दी जाएगी। यह सुविधा है इतने बड़े अस्पातल का।
विष्णु जैन

दो हजार रुपए फीस देने के बाद डाई इंजेक्शन बाहर से खरीदने को कहा गया। बाहर खरीदने पर इंजेक्शन पंद्रह सौ रुपए का मिला। इंजेक्शन तक अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। सिर्फ बजट का न होने कहा जाता है।
ज्ञान सिंह यादव

कुछ दिनों से दिक्कत आ रही है। बजट की कमी के चलते फिल्म उपलब्ध नहीं है। जल्द ही यह समस्या दूर हो जाएगी। प्रमुख सचिव से प्रिंसिपल सर की बात हुई है। उन्होंने भी कहा है कि डिजिटल रिपोर्ट की जाए। सभी मरीजों को फिल्म देना संभव नहीं है।
डा। अजय कुमार सक्सेना
एसआरएन अस्पताल के एसआईसी