प्रयागराज ब्यूरो दारागंज साइड गंगा नदी पर करीब 1980 में शास्त्री ब्रिज का निर्माण हुआ था। उस वक्त के मुकाबले आज ब्रिज पर ट्रैफिक लोग कई गुना बढ़ गया है। यही वह एकलौता ब्रिज है जिससे होकर शहर से लोग वाराणसी, मीरजापुर, भदोही आदि जनपदों के लिए लोग आवागमन करते हैं। सूत्रों की मानें तो मौजूदा समय में हर रोज इस ब्रिज से होकर छोटे व बड़े मिलाकर करीब छह हजार वाहन ट्रैवल करते हैं। काफी पुराना होने व ट्रैफिक प्रेशर के बढऩे से ब्रिज की कंडीशन जर्जर हो गई है। पीडब्लूडी द्वारा मेंटिनेंस को लेकर मांगा गया बजट पास हुआ। बताते हैं कि बजट पिछले वर्ष सितंबर में ही पास हो गया था। काम शुरू करने के लिए पीडब्लूडी के जिम्मेदार ब्रिज से वाहनों का आवागमन ब्रेक करने की लिखापढ़ी अफसरों को किए। तमाम शीर्ष अफसरों के साथ पीडब्लूडी के अधिकारियों की बैठकें हुईं। किसी तरह डीएम ने काम चालू करने का आदेश दिया। दो अक्टूबर से काम शुरू हुआ। दशहरा पूर्व पीडब्लूडी ब्रिज के एक लेन पर काम चालू कर दिया। ट्रैफिक पुलिस मेंटिनेंस के लिए ब्रिज को बैरिकेटिंग करके वनवे कर दिया। पीडब्लूडी का कहना है कि यही वह वक्त था जब सड़क की पुरानी गिट्टियों को उखाड़ा गया। अब दोनों साइड से ट्रैफिक का संचालन फिर शुरू कर दिया गया। इससे पीडब्लूडी ने नए सिरे से डामरीकरण का काम बंद कर दिया। तर्क है कि बगैर ब्रिज पर ट्रैफिक बंद किए मेंटिनेंस संभव नहीं है।

अपनी बात पर अड़ी ट्रैफिक पुलिस
ट्रैफिक पुलिस शास्त्री ब्रिज के मेंटिनेंस के लिए पूरी तरह से ट्रैफिक ब्रेक करने से कतरा रही है।
ट्रैफिक पुलिस के जिम्मेदारों का कहना है कि पूरी तरह किसी भी लेन पर चौबीसों घंटे आवागमन नहीं बंद कर सकते।
ऐसा करने के लिए वाहनों को डायवर्ट करना पड़ेगा, इससे पब्लिक परेशान होगी।
खैर अब कौन बताए कि पब्लिक तो अब भी मेंटिनेंस का काम पूरा नहीं होने से भी परेशान है।
ट्रैफिक पुलिस किसी भी सूरत में ब्रिज से आवागमन को पूरी तरह बाधित करने को तैयार नहीं है।
कुल मिलाकर न ट्रैफिक पुलिस अपनी बात से पीछे हटने को तैयार है और न ही पीडब्लूडी।
अपनी-अपनी बात व डिमांड को दोनों विभाग सही ठहरा रहे हैं। अब सवाल यह है कि आखिर इस समस्या का हल निकलेगा कैसे?
हालात यही रहे और कोई एक विभाग समझौते पर राजी नहीं हुआ तो मेंटिनेंस का काम पूरा हो पाना संभव नहीं होगा।


शास्त्री ब्रिज की गिट्टियां उखाड़े हुए बीस से पच्चीस दिन हो गए। रोड की उखाड़ी गई गिट्टी की वजह से चलना मुश्किल हो गया है। ब्रिज की रोड कब बनकर तैयार होगी यह किसी को नहीं पता। प्रति दिन इस ब्रिज से करीब 400 से भी ज्यादा टेम्पो, विक्रम जैसे छोटे वाहन शहर से सवारियां ढोते हैं। नापा तो नहीं करीब दो किलोमीटर का ब्रिज पार करने में सब गति हो जाती है।
सूरज कुमार, तिपहिया वाहन चालक


कई दिन हो रहे इस पर गिट्टी लेपन का काम आज तक नहीं पूरा हो सका। बसों में बैठने वाली सवारी तक परेशान हो जाती है इस दो किलो मीटर के सफर में। समझ नहीं आता कि जब गिट्टी उखाडऩे का काम पूरा हो गया है तो नया काम क्यों नहीं करवा रहे। हर रोज हजारों नहीं लाखों यात्री परेशान हैं। इससे गाडिय़ों के टायर से लेकर इंजन तक में खराबी आ रही है।
विनोद मिश्रा, बस कंडक्टर


परेशानी सिर्फ अकेले हम चालकों को ही थोड़े है। आवागमन करने वाला हर आदमी इस उखाड़ी गई सड़क से परेशान है। अकेले 400 से 450 विक्रम इस ब्रिज से होकर संचालित होती हैं। हर विक्रम दिन भर में पांच से छह चक्कर तो लगाती है। जब डामरीकरण करना नहीं था तो न जाने क्यों ब्रिज की सड़क को उखाड़े हैं। हम पब्लिक की समस्या है कोई देखने वाला।
मो। अहसान तिपहिया वाहन चालक

पीडब्लूडी चाह रहा कि पूरे ब्रिज का ट्रैफिक मेंटिनेंस वर्क होने तक रोक दिया जाय। ऐसा किए तो पब्लिक काफी परेशान हो जाएगी। दोनों लेन की ट्रैफिक को किसी भी सूरत में रोका नहीं जा सकता।
अमित सिंह, ट्रैफिक इंचार्ज