प्रयागराज ब्यूरो आपके लिए एक खुशखबरी। आप शहर की हवा में खुलकर सांस ले सकते हैं। वर्तमान में प्रयागराज की हवा का स्तर काफी हद तक बेहतर है। लोगों को हेल्दी हवा मिल रही है। पाल्यूशन विभाग की रिपोर्ट का यही कहना है। खासकर सितंबर माह में एक भी दिन एयर क्वालिटी का लेवल सेफ लेवल से ऊपर नही गया। डॉक्टर्स भी इसे लोगों की सेहत के लिए बेहतर साइन मान रहे हैं।

सबसे बढिय़ा बुधवार का दिन
पाल्यूशन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को शहर की हवा का स्तर पिछले एक सप्ताह में सबसे बढिय़ा रहा।
इस दौरान झूंसी का एयर क्वालिटी लेवल 64, एमएनएनआईटी का 28 और नगर निगम का 56 नापा गया।
बता दें कि शहर मे तीन जगह एयर पाल्यूशन नापने वाले मानीटर लगाए गए हैं।
यह तीनों मानीटर अपने आसपास के काफी बड़े एरिया की एयर क्वालिटी स्तर का पता लगा लेते हैं।
एग्जाम्पल के तौर पर नगर निगम में लगाई गई मशीन नवाब युसुफ रोड, एमजी मार्ग सहित आसपास के बड़े एरिया को कवर करती है।

सैटिस्फैक्ट्री है एयर क्वालिटी
वैसे तो साल के कई महीने तक एयर क्वालिटी का लेवल खराब स्तर पर पाया जाता है।
लेकिन सितंबर में यह अचानक गुड और सैटिफैक्टरी लेवल पर पहुंच गया है जो खुशी की बात है।
एयर क्वालिटी मानक के मुताबिक 0 से 50 होने पर गुड, 51 से 100 होने पर सैटिफैक्टरी
101 से 200 के बीच माडरेट, 201 से 300 के बीच पुवर, 301 से 400 के बीच वेरी पुवर
401 से 500 के बीच एयर क्वालिटी को सीवियर माना जाता है।

प्रत्येक लेवल का क्या है मतलब
गुड- सेहत पर हल्का प्रभाव
सैटिस्फैक्ट्री- संवेदनशील लोगों को सांस लेने में हल्की दिक्कत
माडरेट- जिन लोगों को हार्ट अटैक या अस्थमा की शिकायत है उनको सांस लेने में परेशानी
पुअर- अधिकतर लोगों को अधिक समय में खुली हवा में रहने पर दिक्कत होना
वेरी पुवर- सांस लेने में सभी को परेशानी
सीवियर- जो लोग स्वस्थ हैं उनको भी सांस लेने में परेशानी होना
किस तरह से बढिय़ा बीत रहा सितंबर
दिनांक झूंसी नगर निगम एमएनएनआईटी
1 148 100 114
2 142 एनए 122
3 147 एनए 118
4 150 एनए 106
5 92 67 49
6 66 56 29
बॉक्स
क्यों मैली होती है हवा
पर्यावरण विद ज्योति कुमार कहते हैं कि हवा में पाल्यूशन लेवल बढऩे के कई कारण होते हैं। सबसे पहले तो शहर की सड़कों पर धूल का उडऩा। लेकिन वर्तमान में सड़कों की धूल को ठहरने नही दिया जा रहा है। इसके लिए नगर निगम ने कुछ अति आधुनिक मशीने लगा रखी हैं। इसके अलावा ई रिक्शा का चलन बढऩे से टैंपो और आटो से निकलने वाले जहरीले धुएं से भी मुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि धूल और वाहनों के धुएं में मौजूद महीन कण और केमिकल युक्त गैसें हवा के आक्सीजन लेवल को कम कर देती हैं। जिससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसको एयर क्वालिटी खराब होना कहा जाता है।

यह अच्छी बात है कि शहर की एयर क्वालिटी सुधर रही है। इससे सबसे ज्यादा सांस के मरीजों और बुजुर्गों को राहत मिलेगी। ऐसा बहुत कम होता है जब लंबे समय तक शहर की आबो हवा का स्तर इतना बढिय़ा हो। इसमें आम जनता का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
डॉ। आशुतोष गुप्ता
श्वास रोग विशेषज्ञ