प्रयागराज (ब्यूरो)। पुलिस चाहे तो क्या न कर दे। अपने पर आ जाए तो 24 घंटे में मामले को शार्ट आउट कर दे। और अपने पर आ ही जाए तो पीडि़त के जूते घिस जाएं लेकिन मुकदमा जस का तस पड़ा रहे। जी हां, पुलिस की कार्यशैली किसी से छिपी नहीं है। बस बात पुलिस के मन की है। न्याय पाने के लिए पुलिस का सहारा लेने वालों का विश्वास कानून से तब डगमगा जाता है जब हर बार पीडि़त को थाने की चौखट से बैरंग लौटना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है एक ऐसे पीडि़त के साथ। जो एक साल से न्याय की उम्मीद में टकटकी लगाए हुए है।
जून 2022 में दर्ज हुआ मुकदमा
मामला खीरी थाना क्षेत्र का है। यहां के कैथवल गांव के रहने वाले सियाराम ने मुकदमा दर्ज कराया कि उसके पिता गोकुल प्रसाद की मृत्यु के पश्चात जमीन उसके और भाइयों के नाम दर्ज होना चाहिए। लेकिन उमेश चंद्र और रामभगावत निवासी खोचा गांव ने अपने रसूख का इस्तेमाल करके जमीन में अपना नाम भी चढ़वा लिया। काफी दिनों बाद सियाराम को पता चला कि उसकी जमीन को बेच दिया गया है। मामला तहसीलदार के पास पहुंचा तो तहसीलदार ने जांच के बाद अवैध वरासत को निरस्त कर दिया। आरोप है कि इसके बाद फर्जी तरीके से सियाराम की जमीन का वरासत कराने वाले लोग उसके परिवार को धमकी देने लगे।
कब शुरू होगी विवेचना
खीरी पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन एक साल गुजर जाने के बाद भी मामला जस का तस है। अभी तक मामले में पुलिस ने किसी भी आरोपी से कोई पूछताछ नहीं की है। पुलिस के इस रवैये से सियाराम का परिवार परेशान है। करीब 65 साल के सियाराम इस बात से परेशान हैं कि अगर मामले का निस्तारण समय रहते नहीं हुआ तो उनके परिवार का क्या होगा। मगर पुलिस को सियाराम की परेशानी से कोई मतलब नहीं है।