प्रयागराज ब्यूरो । एसआरएन अस्पताल के कार्डियोलाजी विभाग में पिछले कई माह से नवजात बच्चों की ईको जांच नहीं हो पा रही है। क्योंकि विभाग में लगी मशीन पुराने जनरेशन की है और इसका प्रोब (हाथ में पकड़े जाने वाला उपकरण) भी अलग है। इसकी वजह से रोजाना आधा दर्जन बच्चे बिना जांच वापस चले जाते हैं। प्राइवेट सेंटर्स में यह जांच महंगी होने से कई बार बच्चों की जांच कराए बिना परिजन घर लौट जाते हैं।
चिल्ड्रेन अस्पताल से रेफर होते हैं मरीज
कार्डियोलाजी विभाग में रोजाना आधा दर्जन बच्चे चिल्ड्रेन अस्पताल से रेफर होकर आते हैं। इन बच्चों का हार्ट की प्राब्लम के चलते ईको जांच की जरूरत होती है। लेकिन सोर्सेज का कहना है कि विभाग में लगाई गई ईको मशीन पुरानी है और इसका प्रोब भी ठीक नही है। ऐसे में नवजात बच्चों की हार्ट की जांच करना मुश्किल है। यही कारण है कि विभाग के डॉक्टर्स जांच के लिए आने वाले नवजात बच्चों को मजबूरीवश मना कर देते हैं। ऐसे में परिजनों को प्राइवेट सेंटर पर जांच के लिए ले जाना पड़ता है।
पांच गुना है रेट का अंतर
एसआरएन अस्पताल में नवजात बच्चों की ईको जांच के एवज में चार सौ रुपए फीस ली जाती है। जबकि प्राइवेट सेंटर्स पर इसी जांच के लिए दो हजार रुपए तक चार्ज लिया जाता है। कई मरीजों की आर्थिक स्थिति बेहतर नही होने से वह इस जांच को नही करा पाते और घर वापस लौट जाते हैं। डॉक्टर्स का भी कहना है कि मशीन का प्रोब सही नही होने और मशीन एडवांस नही होने से जांच करना मुश्किल होता है।
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क्या होती है ईको जांच
हार्ट की अल्ट्रासाउंड जांच को इको या इकोकार्डियम जांच कहा जाता है। इसमें हार्ट की गतिविधि की ग्राफिक छवि तैयार की जाती है। जांच के दौरान डॉक्टर प्रोब को हाथ में लेकर मरीज के सीने पर रखकर चलाते हैं। अल्ट्रासाउंड तरंगों की मदद से मशीन की स्क्रीन पर हार्ट की गतिविधियां दिखने लगती हैं। इससे पता चलता है कि मरीज के हार्ट में क्या प्राब्लम है।
हमारे यहां नवजात बच्चों की ईको जांच नहीं हो पा रही है। इसके लिए शासन को मशीन की उपलब्धता के लिए लिखा गया है। जिन बच्चों का वजन पांच किलो से कम होता है उनके लिए दिक्कत है।
डॉ। पीयूष सक्सेना, एचओडी, कार्डियोलाजी विभाग एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज