प्रयागराज (ब्यूरो)। रमजान को इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना माना जाता है। जानकार रमजान के पाक महीने में रोजेदार सूर्योय के बाद और सूर्यास्त के पहले अन्न और पानी तक का सेवन नहीं करते। रमजान का चांद देखने के लिए शनिवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों में काफी उत्सुकता दिखाई दी। सूरज ढलते ही लोग घरों की छत पर पहुंच गए। नखासकोहना, नुरुल्ला रोड, रोशनबाग, चौक, करेली आदि एरिया में सभी चांद का दीदार करने के लिए आसमान की तरफ नजरें गड़ाए रहे। कुछ लोग तो दूरबीन से आसमान में चांद को निहारते रहे। देर शाम चांद जैसे ही दिखाई दिया सभी खुशी से उछल पड़े। एक दूसरे को गले लगाकर रमजान के पाक महीने की बधाई दिए। वाट्सएप, ट्वीटर जैसे माध्यमों से भी लोग बधाई देना शुरू कर दिए। दूरदराज रहने वालों को लोगों ने मैसेज व फोन करके रमजान की मुबारक बाद दिए। कहा जाता है कि रमजान के महीने में रोजा रखकर इबादत करने से खुदा अपने बंदों को रहमत से नवाजते हैं और दुआएं मग$िफरत सुनते हैं। इस्लाम धर्म को जानने वालों की मानें तो इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई। कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में कहा गया है कि रोजा तुम पर उसी तरह सेफर्ज किया जाता है, जैसे तमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था।
इन्हें रोजा में दी गई है छूट
इस्लाम को गहराई से जाने वालों की मानें तो हर बालिग पर रोजा फर्ज है। केवल उनहें छूट दी गई है जो बीमार हैं या फिर यात्रा पर हैं। इसके अलावा गर्भवती औरतों व बच्चों को रोजा रखने से छूट दी गई है। कहते हैं कि रोजे की हालत दवा खाने तक की मनाही है। इस लिए बीमार लोग यदि रोजा रखते हैं तो वह सहरी व इफ्तार के समय दवा ले सकते हैं।
शहर काजी ने की घोषणा
मरकजी काजी-ए-शहर मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी ने शनिवार को चांद दिखाई देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि चांद दिख गया है, पहला रोजा रविवार को रखा जाएगा। कहा कि लोग अल्लाह के निर्देशों का पालन करते हुए इबादत करें। वहीं वारसी समिति उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के ह$जरत मौलाना मो। आरिफ वारसी मुतवल्ली वारसी कमेटी ने भी रमजान माह की अहमियत का जिक्र करते हुए रोजा रखने व इबादत करने की मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील की।