प्रयागराज (ब्यूरो)।
1810 बसें चलाने का दावा परिवहन विभाग की तरफ से किया गया है
77000 यात्रियों के सफर करने का अनुमान है बसों से
86400 सेकंड तक रहा है मौनी अमावस्या का मुहूर्त
06 किलोमीटर लम्बा घाट तैयार करने का किया गया था दावा
182 लोग फ्लाइट से पहुंचे मंगलवार को शहर में
03 स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया रामबाग स्टेशन से
01 स्पेशल ट्रेन का संचालन किया गया प्रयाग संगम स्टेशन से
साधन पांच लाख लोगों के लिए भी नहीं चला, दावा डेढ़ करोड़ के आने का
15 कोच जोड़े गये प्रयाग संगम से चलने वाली विभिन्न रेग्युलर ट्रेनों में
72 लाख के करीब है जिले की कुल आबादी। पिछली जनगणना में 59 लाख थी
12 लाख के करीब है जिले में कुल रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या
सुबह घना कोहरा, दोपहर में धूप से मिली राहत
सोमवार की रात से ही घने कोहरे की चादर ने डेरा डाल दिया था। आधी रात के बाद शहर और संगम एरिया में विजिबिलिटी बेहद लो हो गयी थी। मंगलवार की शुरुआत भी घने कोहरे के बीच हुई। सुबह साढ़े आठ बजे तक घने कोहरे के बीच गलन का आलम बना रहा। इस कंपकंपा देने वाली ठंड के बीच भी बड़ी संख्या में लोग स्नान के लिए घरों से निकले। इसमें भी देहात एरिया से आने वाले ज्यादा रही। कंपकंपाती ठंड में भी लोग सिर पर गठरी और गोद में बच्चा लादे गंगा में स्नान करने पहुंचे। हालांकि दोपहर में मौसम ने राहत प्रदान की। गुनगुनी धूप में लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। मौसम के बेहतर होने पर शहर के लोग भी घरों से निकले और उन्होंने संगम स्नान किया।
क्या है पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन कई भक्त मौन व्रत भी धारण करते है। इस दिन नदी तट पर स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। शुभ मुहूर्त में पूजन करने से अपार धन लाभ तथा सभी कार्यों में सफलता मिलती है। माघी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं ने स्नान के पश्चात सूर्यदेव को तिलयुक्त जल अर्पित करने तथा पितृ तर्पण किया। माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या भी कहते हैं। माघी अमावस्या के दिन देवी-देवता स्वर्गलोक से आकर गंगा में वास करते हैं। इसी कारण अमावस्या पर गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पाप मिट जाते हैं। इस दिन मौन व्रत रखने से आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति में वृद्धि होकर जीवन में स्थिरता आती है। इस दिन उपवास रखने से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने से सुहाग की आयु लंबी होकर सौभाग्य प्राप्त होता है। कई श्रद्धालुओं ने कंबल, काला तिल, गरम कपड़े, तेल, जूते, सफेद तिल, शकर, तिल-गुड़ के लड्डू आदि चीजों का दान किया।
अधिकारियों ने लगातार किया भ्रमण
स्नान पर्व पर कमिश्नर, डीएम, एसएसपी समेत तमाम आला अधिकारियों ने मेले की सुरक्षा और सुविधाओं का जायजा लिया। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सुरक्षा बल के जवाब तैनात किए गए थे। इस दौरान कोरोना प्रोटोकाल को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों को तैनात किया गया था। मेला एरिया में 45 प्रशासनिक अधिकारी और 15 पुलिस के अधिकारी तैनात किए गए थे। स्नाइपर्स और ब्लैक कैट कमांडोज ने भी मेले की सुरक्षा को बढ़ाया। कैमरों से निगरानी के लिए साइबर सेल की टीम को भी लगाया गया था। मेले में कुल सात हजार पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। पांच सेक्टर में बंटे मेले में कुल नौ स्नान घाट बनाए गए थे। प्रवेश के लिए द्वारों की संख्या बढ़ाकर 16 से 21 कर दी गई है। नौ वाचटावर से निगरानी की गई।
कई किमी चले पैदल
संगम के अलावा मंगलवार को दारागंज, फाफामऊ और अरैल घाट पर भी लाखों लोगों ने स्नान किया। मेले से बाहर पार्किंग स्थल बनाए जाने से श्रद्धालुओं को कई किमी पैदल चलना पड़ा। दो से तीन घंटे चलने के बाद उन्हें स्नान करने का मौका मिला। बता दें कि मौनी अमावस्या पर हुए रूट डायवर्जन प्लान के मुताबिक 2 फरवरी की रात 12 बजे तक यह लागू रहेगा। श्रद्धालुओं के लिए लॉट नंबर 17 के अलावा काली सड़क स्थित यातायात पुलिस लाइन के सामने, बगल और पांटून पुल वर्कशॉप पार्किंग के साथ ही दारागंज गल्ला मंडी पार्किंग व्यवस्था की गई थी।
छह फ्लाइटें रहीं कैंसिल, प्रयागराज जंक्शन पर खड़ी रह गयी स्पेशल ट्रेन
प्रशासन के डेढ़ करोड़ लोगों के स्नान करने के लिए पहुंचने के दावे को न तो परिवहन निगम के रिकॉर्ड का सपोर्ट मिला और न ही रेलवे और फ्लाइट के संचालन से। परिवहन निगम की तरफ से कुल 1810 बसों के संचालन का दावा किया गया है। इन सभी बसों को 60 सीटर भी मान लिया जाय तो अधिकतम एक लाख सात हजार लोग ही सफर कर सकते हैं। फ्लाइट से प्रयागराज आने वालों की कुल संख्या 182 थी और यहां से उड़ान भरने वाले लोगों की संख्या 187 ही रही। एनसीआर की तरफ से भीड़ का प्रेशर बढऩे पर अतिरिक्त ट्रेनें संचालन के लिए तैयार रखी गयीं थीं लेकिन इसे चलाने की नौबत नहीं आयी। पीआरओ अमित सिंह का कहना है कि रेग्युलर ट्रेनें ही पैसेंजर्स के सफर के लिए पर्याप्त रहीं। सिर्फ रामबाग से तीन स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया। प्रयाग संगम स्टेशन से अयोध्या कैंट के लिए एक स्पेशल ट्रेन का संचालन किया गया। इसके अलावा प्रयाग-फैजाबाद एक्सप्रेस में पांच, सरयू एक्सप्रेस में छह, मनोहर संगम में दो और लखनऊ इंटरसिटी में दो कोच बढ़ाये गये।
श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित कर शहर के लोगों ने कमाया पुण्य
दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मौनी अमावस्या पर जगह जगह भंडारे का आयोजन किया गया था। खुल्दाबाद, दारागंज, सोहबतियाबाग, कीडगंज, गऊघाट आदि एरिया में श्रद्धलुओं को खिचड़ी, कचौड़ी-सब्जी, हलुआ आदि जमकर खिलाया गया। यहां ठहरने वाली की संख्या अधिक रही। श्री सत्य साईं सेवा संगठन की तरफ से झूंसी में श्रद्धालुओं के लिए शिविर का आयोजन किया गया। यहां उन्हें कचौड़ी, दमआलू और चाय प्रसाद का वितरण सुबह सात बजे से अनवरत किया गया। आयोजन में संस्था के अध्यक्ष राजेश वर्मा और दीपक निगम की भूमिका महत्वपूर्ण रही। समापन शाम को महा मंगल आरती के बाद हुआ।
मौनी अमावस्या के मौके पर कुल 1810 बसों का संचालन हुआ था। इन बसों से करीब 77 हजार से अधिक यात्रियों के सफर करने का अनुमान है। ज्यादातर बसें 60 सीटर थीं। परिवहन निगम की बसों की कोई कमी नहीं थी।
टीकेएस बिसेन क्षेत्रीय प्रबंधक, परिवहन निगम, प्रयागराज
मंगलवार को दिन में पैसेंजर्स का प्रेशर बढऩे पर रामबाग स्टेशन से कुल तीन ट्रेनों का संचालन भटनी, बनारस और गोरखपुर के लिए किया गया।
अशोक कुमार पीआरओ, पूर्वोत्तर रेलवे
छह फ्लाइटें खराब मौसम के चलते मंगलवार को छह फ्लाइटें कैंसिल रहीं। कुल छह फ्लाइटों का आवागमन ही आज हुआ है। इससे कुल 182 पैसेंजर्स प्रयागराज आए और 187 ने यहां से दूसरे शहरों के लिए उड़ान भरी।
कार्तिकेय श्रीवास्तव पीआरओ, एयरपोर्ट
प्रयाग संगम स्टेशन से अयोध्या कैंट के लिए एक स्पेशल ट्रेन का संचालन किया गया। भीड़ बढऩे पर विभिन्न ट्रेनों में कुल 15 अतिरिक्त कोच जोड़े गये थे।
अवधेशमणि पाठक स्टेशन अधीक्षक, प्रयाग संगम