प्रयागराज (ब्यूरो)। यह तर्क इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से दिया गया है। बता दें कि गुरुवार को छात्रों ने कैंपस में प्रदर्शन किया और बढ़ी हुई फीस वापस लेने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। छात्रों ने रविवार तक फीस बढ़ाने का फैसला वापस न लिये जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। छात्रों की तरफ से चेतावनी आने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट की है। पीआरओ डा। जया कपूर ने कहा कि 134 वर्ष पूर्व स्थापना के समय 1912 में विश्वविद्यालय की स्नातक की ट््यूशन फीस 12 रुपये थी जो उस समय की कीमतों के अनुसार तय की गई थी। महंगाई की दर, छात्रों की संख्या बढ़ी पर विश्वविद्यालय द्वारा ली जा रही फीस नहीं बढ़ी। ऐसे में छात्रों को बेहतर शैक्षिक वातावरण बनाने के लिए •ारूरी संसाधन जुटा पाना संभव नहीं था। 25 जून को एकेडेमिक काउंसिल की बैठक में फीस बढ़ाने जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था।

फीस बढ़ाने का निर्णय लेते समय ध्यान रखा गया है कि विश्वविद्यालय बेहतर संसाधन जुटाने में सक्षम बने। इसका असर उन छात्रों पर न पड़े जो वर्तमान समय में किसी कोर्स में पढ़ रहे हैं। हमारे लिए छात्रहित सर्वोपरि है।
प्रो। संगीता श्रीवास्तव, कुलपति इवि