प्रयागराज ब्यूरो । केंद्रीय रेलवे अस्पताल के दवा स्टोर से हर महीने लाखों रुपये की दवा बाहर बेची जा रही है। यह खेल कोई नया नहीं है। आखिर इस खेल में कौन-कौन शामिल है। यह नई बात है। विजलेंस ने शिकायत पर कार्रवाई के लिए पत्र भी लिखा लेकिन, कार्रवाई के नाम पर कुछ फार्मासिस्ट का पटल पदल कर फिर से गोरखपुर धंधा चलाने की छूट दे गई। यही कारण है कि दवा चोरी पर रोक लगाने में अफसर असफल साबित हो रहे है। यह हम इसलिए कह रहे है क्योंकि शुक्रवार की देर शाम एमडी ने खुद दवा चोरी करते एक स्टाफ को पकड़ा है। जो एक स्वजन के नाम पर एक कार्टून में भरकर लगभग 20 हजार रुपये की दवाइयां अस्पताल से बाहर निकालने का काम कर रहा था। अचानक से एमडी की नजर पड़ी तो रोक लिया। पूछताछ शुरू की तो दवा स्टोर के कर्मचारी माफी मांगने लगे।
पूछताछ में चौकाने वाली बात आई सामने
एमडी की टीम ने जब पूछताछ शुरू की तो वर्षों से दूसरे कर्मचारी के नाम यहां से दवा ले जाकर बाहर बेचने का खेल सामने आया। बाद में डाक्टर से पर्चा व अप्रूवल के लिए हस्ताक्षर करा लेते हैं। जब डाक्टरों को इस बात की खबर जब हुई तो शिकायत भी हुई। रेलवे विजलेंस में शिकायत पहुंची तो चीफ फार्मासिस्ट पर कार्रवाई व स्थानांतरण की सिफारिश हुई। हालांकि दवा को गोरखधंधे में जुटा गुट एक्टिव हुआ तो मामले को दबा दिया गया। इधर कार्रवाई के लिए विजलेंस ने 13 दिन में रिमाइंडर भेजा तो असिस्टेंट फार्मेंसी आफिसर पी चंद्रन से नजदीकी के कारण कार्रवाई की प्रक्रिया भी मनचाही कर दी गई। सूत्रों की माने तो यह अप्रूवल भी बकायदा सेटिंग से करवा लेते है। इस बावत अस्पताल के एमडी एसके हांडू से फोन और वाटस्एप के माध्यम से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
फेरबदल कर टाल दिया मामला
यहां 16 फार्मासिस्ट मौजूद हैं। गंभीर शिकायत पर भी मात्र पटल बदले गए। छह लोगों को रोटेशन स्थानांतरण हुआ। चीफ फार्मासिस्ट श्रेणी में एसके जायसवाल को सेंट्रल स्टोर इंचार्ज के पद से हटाकर ओपीडी काउंटर चार पर भेजा गया जबकि विजलेंस ने कार्रवाई के लिए रिपोर्ट दी थी। वहीं एके गुप्ता को इंचार्ज सब स्टोर से हटाकर ओपीडी काउंटर तीन भेजा गया। जबकि इसी काउंटर पर तैनात राजकुमार को सब स्टोर का इंचार्ज बना दिया गया। केएस राव को काउंटर छह से सेंट्रल स्टोर का इंचार्ज बनाया गया। जबकि टीन कुशवाहा को सेंट्रल स्टोर व संतोष सिंह को काउंटर छह पर भेज दिया गया है। सभी को पटल बदलकर अपनी मनमानी करने की छूट दी गई।
मामले की जांच करवा कार्रवाई की जाएगी। आखिर कब से यह सब चल रहा है। कौन-कौन और इसमें शामिल है।
हिमांशु शेखर उपाध्याय, एनसीआर के सीपीआरओ