प्रयागराज (ब्यूरो)। बड़े भाई आजम की ख्वाहिश थी कि उसका घर जन्नत जैसा हो जाए। घर में कोई कमी भी नहीं थी। मगर न जाने क्या हो गया आरिफ को कि वह एक बार बिगड़ा तो फिर सुधरने के बजाए बिगड़ता ही चला गया। आरिफ आए दिन घर में झगड़ा करता था, मगर बड़ा भाई आजम बेहद खामोशी से सब बर्दाश्त कर लेता था। पूरे घर का माहौल खराब हो गया था, मगर आजम को उम्मीद थी कि छोटा भाई एक दिन सुधर जाएगा। लेकिन उसका पूरा परिवार बिखर गया। उसने अपनी आंख से अपनी मां, बहन की लाश देखी, पिता को लहुलूहान देखा। भाई की करतूत पर आजम थाने में पुलिस के सामने रोता रहा।
परिवार नहीं छोडऩा चाहता था आजम
मो.कादिर ने बड़ी मशक्कत से तिनका तिनका जोड़कर आशियाना बनाया। सोचा था कि बुढ़ापा बच्चों, नाती, पोतों के बीच कट जाएगा। मो.कादिर ने लेखपाल की नौकरी की। प्रमोशन मिला तो कानूनगो हो गए। नेक नीयत पसंद मो.कादिर जिंदगी भर साइकिल से चले। खुश मिजाज तबियत के मो.कादिर मोहल्ले वालों से भी अच्छा रिश्ता बनाकर रखते थे। मो.कादिर की तमाम आदतें आजम में भी थीं। छोटा भाई करीब दस वर्ष पहले अचानक घर में परिवार से लडऩे भिडऩे लगा तो आजम ने उसे समझाने की कोशिश की। आरिफ पर बड़े भाई की बातों का कोई असर नहीं पड़ा तो आजम घर में गंभीर रहने लगा। कई कई दिन आरिफ गायब रहता तो आजम उसे खोजता।
दो बच्चे हैं आजम के
करीब पंद्रह वर्ष पहले आजम की शादी शबाना से हुई। दो बच्चे हो गए। बड़ा हसनैन 14 साल का है और छोटा अली सात साल का। आरिफ अक्सर भाभी शबाना से भी भिड़ जाता था तो आजम पत्नी शबाना को उसके मायके चौक रानी मंडी छोड़ आता था। आए दिन आरिफ के बवाल से तंग शबाना घर छोड़कर दूसरी जगह रहने को कहती थी मगर आजम ने पत्नी की बात नहीं मानी।
शादी के बाद भी नहीं सुधरा
करीब छह साल पहले आरिफ मर्जी से नौसीन से शादी की। नौसीन गर्वमेंट प्रेस में नौकरी करती है। शादी के बाद ही आरिफ ने अपनी रसोई अलग कर ली। वह रोज पत्नी को सुबह छोडऩे जाता और शाम को लेने। घरवालों को लगा कि अब आरिफ सुधर जाएगा मगर उसकी आदत में कोई सुधार नहीं हुआ। आरिफ की मां साल की बेटी है। बुधवार सुबह आरिफ पत्नी के साथ बेटी को ले गया। करीब 12 बजे वह अकेले लौटा और घर में बवाल शुरू कर दिया।
पति ने छोड़ दिया था बहन को
आजम की बहन आफरिन की शादी करीब 12 साल पहले हुई थी। उसके दस का बेटा अरमान है। इस बीच आफरिन को उसके पति ने छोड़ दिया तो वह अपने पिता कादिर के साथ ही रहने लगी। रसोई अलग होने की वजह से आफरिन ही माता पिता की देखभाल करती थी।
छिप कर बचाई अरमान ने जान
आजम का बेटा हसनैन कक्षा नौ में, छोटा बेटा अली कक्षा एक में और अरमान कक्षा पांच में पढ़ता है। घटना के कुछ देर पहले ही तीनों स्कूल से लौटे थे। हसनैन और अली अपनी मां शबाना के पास चले गए। जबकि अरमान अपनी मां आफरिन के पास था। आरिफ ने मां, पिता और बहन को पीटना शुरू किया तो अरमान भाग कर घर में छिप गया। वह पूरी घटना देखता रहा। इधर, शबाना और आजम दोनों बच्चों को लेकर अपने कमरे में कैद हो गए। आरिफ ने घर के अंदर आग लगाई तो आजम के छोटे बेटे अली का दम घुटने लगा। उसे आजम ने किसी तरह खिड़की से बाहर निकाला। जबकि बड़ा बेटा हसनैन खिड़की से बाहर नहीं निकल सका तो वह अंदर ही अपने मां, पिता के साथ रहा।
कमरे से छोड़ देने की गुहार लगाता रहा आजम
आरिफ का रूप देखकर आजम समझ गया था कि आज सब बिखर जाएगा। आजम ने पुलिस को बताया कि वह कमरे में अपने परिवार को कैद कर आरिफ को मां, बाप और बहन को छोड़ देने के लिए गुहार लगाता रहा, मगर उस पर कोई असर नहीं पड़ा। आखिरकार आरिफ ने मां और बहन को मार डाला। जबकि पिता को मरणासन्न कर दिया। आजम ने पुलिस को बताया कि वह अपनी और अपने परिवार की जान बचाने के लिए कमरे से बाहर नहीं निकला। कई बार आरिफ ने उसके साथ ही भी हाथापाई की थी। वह भाई से भिड़ नहीं पाता था। जिससे उसकी हिम्मत कमरे से बाहर निकलने की नहीं हुई। बुधवार को आरिफ ने अपने पास छूरा और कुल्हाड़ी रखी थी। जिसकी वजह से आजम खौफ में आ गया था।