प्रयागराज ब्यूरो । तापट्टी में डकैतों ने कफन का कपड़ा खरीदने के बहाने दरवाजा खुलवाया था। कारोबारी के घर पहुंचे डकैतों ने दरवाजा खटखटाया। नींद खुलने पर कारोबारी ने जब पूछा कौन है तो दरवाजा खटखटाने वाले ने बताया कि कफन का कपड़ा खरीदना है। जब कारोबारी ने सुबह आने की बात कही तो बाहर खड़े लोग मिन्नत करने लगे। इसके बाद जैसे ही दरवाजा खुला अंदर घुसे डकैतों ने ताबड़तोड़ वार कर कारोबारी को मरणासन्न कर दिया।

हालत में सुधार होने पर बताई आपबीती

हेतापट्टी में रविवार रात कारोबारी अशोक और संतोष के घर डकैती पड़ी थी। डकैतों ने दरवाजा खटखटाया था। दरवाजा अशोक केसरवानी ने खोला था। डकैतों ने अशोक को मरणासन्न कर दिया था। रात में ही अशोक को एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया। अशोक के पेट से लेकर सिर तक टांके ही टांके लगे हैं। तीन दिन तक बेहोशी की हालत में रहने के बाद सुधार हुआ तो उन्होंने आप बीती रिश्तेदारों को बताई। बकौल अशोक रात में वह बाहर वाले कमरे में सोए थे। आधी रात के बाद दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। उनकी नींद खुली तो वह दरवाजे के पास आकर पूछने लगे कौन है। इस पर बाहर खड़े एक शख्स ने कहा कि मिट्टी हो गई है। कफन का कपड़ा खरीदना है। अशोक ने सुबह आने को कहा तो बाहर से बताया गया कि बहुत जरुरी है। कफन का कपड़ा लेना है। इस पर अशोक ने दरवाजा खोल दिया। अशोक के दरवाजा खोलते ही अंदर घुसे बदमाशों ने उन्हें छेनी और रंभा से मारना शुरू कर दिया। वह संभल नहीं पाए। धारदार छेनी के वार से उनके सिर से खून बहने लगा। वह घबरा गए। डकैतों ने उनसे जेवर, गहने और नकदी के बारे में पूछा। वह चुप रहे तो डकैतों ने उन पर कई वार किए। इसके बाद वह बेसुध हो गए। जब हालत में सुधार हुआ तो उन्होंने अपने को अस्पताल में बेड पर पाया।

भाई को मिली अस्पताल से छुट्टी

डकैतों के हमले में घायल कारोबारी संतोष और उनकी पत्नी आरती को एसआरएन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। आरती को घर भेज दिया गया है। जबकि भाई संतोष अशोक की देखरेख के लिए अस्पताल में रुके हैं।