- 31 कर्मचारियों को यूनिवर्सिटी प्रशासन देगा नौकरी
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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पत्राचार संस्थान को लेकर चल रहा विवाद महज 18 मिनट में ही सुलझ गया। यूनिवर्सिटी में सोमवार को कार्य परिषद की मीटिंग के दौरान इस बात का फैसला हुआ कि अवमानना करने वाले 31 कर्मचारियों को यूनिवर्सिटी प्रशासन नौकरी देगा। वहीं बजट नहीं होने से इन कर्मचारियों के बकाया के लिए यूनिवर्सिटी ने पैसा नहीं होने की बात कही है। क्योकि करीब 30 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च यूनिवर्सिटी पर आएगा।
यूजीसी ने ग्रांट से किया है इंकार
कार्य परिषद की मीटिंग के बाद उसके बारे में जानकारी देते हुए यूनिवर्सिटी की पीआरओ डॉ। जया कपूर ने बताया कि पत्राचार संस्थान के कर्मचरियों के बकाया वेतन का भुगतान करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने ग्रांट देने से इंकार कर दिया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी के पास इतना फंड नहीं है। जिससे कर्मचारियों की देनदारी की जा सके। ऐसे में कुलपति ने 26 फरवरी 2021 को पत्राचार संस्थान के मसले को सुलझाने के लिए कमेटी गठित कर दी। कोर्ट के अवमानना नोटिस को ध्यान में रखते हुए कला संकाय के अध्यक्ष प्रो। हेरंब चतुर्वेदी की अध्यक्षता में गठित कमेटी में प्रो। आशीष सक्सेना, डा। सोनल शंकर के अलावा दो वरिष्ठ प्रोफेसर को शामिल किया गया। कमेटी ने कोर्ट के आदेश में शामिल 31 कर्मचारियों को नियमानुसार यूनिवर्सिटी की सेवाओं में शामिल करने की सिफारिश की। रिपोर्ट मिलने के बाद कुलपति ने आनन- फानन में एकमात्र एजेंडे के लिए कार्य परिषद की आपात बैठक बुला ली। महज 18 मिनट तक चली बैठक में परिषद के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी।