प्रयागराज ब्यूरो । अपहरण का यह मामला वर्ष 2007 का है। रिपोर्ट दर्ज कराने वाले उमेश पाल ने आरोप लगाया था कि उन्हें राजू पाल हत्याकांड में गवाही देने से रोकने के लिए अपहरण कर लिया गया था। इसमें उन्होंने कुल नौ लोगों को नामजद किया था। इसी मामले में एक महीने के भीतर केस का फैसला लिये जाने के कोर्ट के आदेश के बाद एमपी एमएलए कोर्ट में इसकी रेग्युलर बेसिस पर सुनवाई चल रही थी। शुक्रवार को डिफेंस को अपनी बहस पूरी करनी थी क्योंकि कोर्ट की तरफ से दी एक महीने में केस निस्तारित करने की अवधि आज पूरी हो रही थी। शायद यही कारण था कि उमेश खुद शाम साढ़े चार बजे तक एमपी एमएलए कोर्ट में मौजूद रहे। शाम को इस कोर्ट ने डिफेंस को बहस पूरी करने के लिए सोमवार तक का मौका दिया था। उम्मीद जताई जा रही थी कि सोमवार को बहस पूरी होने के बाद कोर्ट या तो फैसला सुरक्षित करके सुना देगी या फिर आन द स्पॉट अपना निर्णय दे सकती है। केस की बहस सुनने के बाद घर लौटे उमेश पाल को घर के भीतर कदम रखने से पहले ही गोलियों से छलनी कर दिया गया।

हाई कोर्ट ने सोमवार को की थी टिप्पणी
राजू पाल हत्याकांड में सोमवार 20 फरवरी को माफिया अतीक अहमद को बड़ा झटका लगा था। जस्टिस डीके सिंह की कोर्ट ने मामले की सुनवाई टालने के लगातार प्रयास को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए याची दिनेश पासी उर्फ दिनेश कुमार पर एक लाख रुपये हर्जाना लगाया था। वह भी अभियुक्त है। पीठ ने कहा था कि बचाव पक्ष की तरफ से 50 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। इसके बावजूद तीन अतिरिक्त गवाह पेश करने की अर्जी दी गई। धारा 311 की अर्जी खारिज होने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। हाई कोर्ट ने हर्जाना राशि दो हफ्ते में आर्मी बैटिल कैजुअल्टी वेलफेयर फंड में जमा करने का निर्देश दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि ऐसा न होने पर जिलाधिकारी प्रयागराज को राजस्व वसूली कार्रवाई करें। दिनेश पासी उर्फ दिनेश कुमार ने याचिका में एमपी-एमएलए विशेष अदालत द्वारा धारा-311 की अर्जी खारिज करने संबंधी 31 जनवरी 2023 के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उमेश पाल की याचिका पर जनवरी 2023 में दो माह में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया था।