प्रयागराज ब्यूरो, श्री द्विवेदी ने कहा कि इस बार करवा चौथ पर सुहागिनें उद्यापन भी नहीं कर पाएंगी। कारण है शुक्र का अस्त होना। उन्होने कहा कि गुरु और शुक्र के अस्त हो जाने की स्थिति में उसके बल में कमी आ जाती है और ऐसी स्थिति में हमारे निर्णय सिन्धु, मुहूर्त चिंतामणि आदि जैसे ग्रन्थ ये पूर्ण रूप से आदेश करते हैं कि कोई भी शुभ कार्य न किया जाय। शुक्र ग्रह सौभाग्य और दाम्पत्य सुख के कारक हैं अत: करवा चौथ व्रत जो सौभाग्य को बढ़ाने वाला है उसके लिए शुक्र का बली होना जरूर है। इस कारण इस वर्ष करक चतुर्थी के दिन करवाचौथ व्रत का प्रारम्भ करना या फिर इसका उद्यापन करना शुभकारी नहीं होगा। करवा चौथ में शुक्र का बहुत महत्व होता है। शुक्र को शुभता, नैसर्गिक भोग-विलास एवं दांपत्य का कारक माना जाता है। इस लिए करवा चौथ व्रत या फिर कोई अन्य व्रत के प्रारम्भ एवं व्रत के उद्यापन और विवाह, मुण्डन आदि जैसे तमाम शुभ कामों के दिन शुक्र का उदित स्वरूप में होना परमावश्यक होता है।
करवा चौथ पर सुहागिनों के लिए भोले नाथ की पूजा खास लाभकारी सिद्ध होती है। इसलिए इस वर्ष सुहागिने उद्यापन ना कर भोले नाथ से पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मांगे। भगवान शिव माँ पार्वती संग सभी भक्तों का कल्याण करेगें। रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की पूजा करना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। करवाचौथ के दिन शाम में रोहिणी नक्षत्र 7 बजकर 28 मिनट पर लग रहा है और चन्द्रोदय भी 7 बजकर 56 मिनट पर होगा तो ऐसे में यह समय पूजन एवं अघ्र्य आदि कार्यों के लिए लाभकारी होगा। दरअसल, रोहिणी चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी हैं। 12 अक्टूबर रात में 1 बजकर 48 मिनट से चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा और 13 तारीख में मध्य रात्रि 2 बजकर 43 मिनट पर समापन होगा। इसी के साथ दिन का आरंभ सर्वार्थ सिद्धि योग से हो रहा है। इस दिन लक्ष्मी नारायण योग बनेगा। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे। इसबार ये सभी शुभ संयोग करवा चौथ के व्रत को पहले से करती आ रही सुहागिनों के लिये बहुत ही शुभ एवं लाभकारी सिद्ध होगें।
ग्रहों की चाल के अनुसार यह पर्व 13 अक्टूबर को ही मनाना लाभदायक होगा। चतुर्थी 13 अक्टूबर को दिन में 1.59 बजे से 14 को दिन में 3.08 बजे तक है। व्रती महिलाएं चन्द्रमा का पूजन करती हैं इसलिए इसे 13 को ही मनाया जाना चाहिए।
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