प्रयागराज ब्यूरो । आसपास के जनपदों में झमाझम बारिश हो रही है। आए दिन हो रही बारिश से वहां के हालात बदतर हैं। मगर, प्रयागराज नगर निगम की लाज बादलों ने बचा रखी है। यहां ठीक से बारिश नहीं होने के कारण नगर निगम द्वारा नाला सफाई के दावे पर पर्दा पड़ा हुआ है। एक-दो दिन को छोड़ दिया जाय तो यहां बारिश की चंद बूंदें ही आसमान से झरी हैं। जिस दिन लगाता तीन चार दिन कायदे की बारिश हुई, उसी रोज शहर में जल निकासी के प्रबंध का असली चेहरा बेनकाब होगा। बारिश के पानी से पूरा शहर, खास कर पुराने 80 वार्ड 'पानी-पानीÓ नजर आएंगे। जबकि नाला सफाई के नाम पर यहां करोड़ों रुपये का बजट खर्च हो चुका है। उत्पन्न होने वाले इस हालात के पीछे कई तरह की अनदेखियों को मुख्य कारण माना जा रहा है।

बारिश करेगी दावे को बेनकाब
नगर निगम प्रयागराज का प्रशासनिक क्षेत्र 365 वर्ग किलो मीटर यानी 141 वर्ग मील में फैला हुआ है। जानकार बताते हैं कि इसकी स्थाना 1863 में 1850 अधिनियम 26 के तहत इलाहाबाद नगरपालिका के रूप में किया गया था। बाद में 1959 में इसे नगर निगम का दर्जा प्राप्त हुआ था। पिछले दो साल पहले तक इस नगर निगम में सिर्फ 80 वार्ड ही थे। सीमा विस्तार के बाद यहां 20 वार्डों की संख्या में इजाफा हुआ। आज प्रयागराज नगर निगम में कुल 100 वार्ड हैं। इन वार्डों में 16 लाख से कहीं ज्यादा आबादी बसर करती है। वार्डों में लाइट से लेकर पानी व सफाई एवं नाली व नाला आदि जैसे विकास की जिम्मेदारी नगर निगम की है। इतना ही नहीं इस नगर निगम क्षेत्र में 02 लाख 35 हजार से अधिक भवन सम्पत्तियां हैं। इस साल नाला सफाई के लिए बनाए गए मास्टर प्लान में करीब 600 नाले बताए गए हैं। इनमें विस्तारित क्षेत्रों के नालों को भी एड किया गया है। पिछले वर्ष शहर में करीब 565 नालों की सूची सफाई के लिए बनाई गई। इस तरह बारिश पूर्व इस मर्तबा छोटे व बड़े मिलाकर सभी 600 नालों की सफाई का प्लान बनाया गया। नाला सफाई के लिए चार करोड़ से भी अधिक बजट निर्धारित किया गया। विभागीय दाना है कि छोटे नालों की सफाई का जिम्मा नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग को दिया गया। जबकि बड़े नाले एक मीटर से अधिक चौड़े थे उन्हें मशीन से साफ कराने की जिम्मेदारी विभाग के जनकार विभाग को सौंपी गई। शुरू से ही नाला सफाई में बरती जा रही लापरवाही को लेकर लोग अंगुली उठाते रहे हैं। मगर विभागीय अधिकारियों का दावा है कि नाला पूरी जिम्मेदारी से अच्छी तरह साफ किए गए हैं। बचे हुए नालों की सफाई का काम मानक के अनुरूप कराया जा रहा है। अब इस दावे में कितनी सच्चाई यह जानने के लिए बादलों की तरफ लोग टकटकी लगाकर देखे हैं।

इस लिए 'पानी-पानीÓ हो जाएगा शहर
इस शहर में एक-दो दिन छोड़ दिया जाय तो बारिश की चंद बूंदे ही गिरी हैं। सड़कों पर धूल उड़ रही है।
दबी जुबान लोगों का मानना है कि जिस दिन यहां ठीक से बारिश हो गई। नगर निगम के दावे की पोल खुल जाएगी।
क्योंकि एक भी नाला ऐसा नहीं जिसकी सफाई प्रॉपर शुरू से लेकर अंत तक अच्छे से किया गया हो। वार्डों में नालियों की सफाई का भी हाल काफी बदतर है।
ऐसी स्थिति में जिस भी दिन यहां लगातार दो तीन दिन तक अच्छी बारिश हो गई, सड़कों को तालाब में तब्दील होने से रोका नहीं जा सकता।
क्योंकि एक तो नाले ठीक से साफ नहीं है। ऊपर से सीवर लाइन की भी सफाई का आलम बदतर ही है। ऊपर से स्मार्ट सिटी के द्वारा बनाए गए नालों की कंडीशन भी ठीक नहीं है।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि स्मार्ट सिटी के तहत बनाए गए नालों को कवर्ड करने से पूर्व उसके अंदर निर्माण के वक्त पड़े मलबे को निकाला नहीं गया है।
बात सिर्फ इतनी ही नहीं, बताया यह भी जा रहा कि इनमें कई ऐसे नाले हैं जिन्हें जल निकासी के लिए बड़े नालों से कनेक्ट नहीं किया गया है।
ऐसी स्थिति में यह नालों से भी बारिश का पानी निकल पाना संभव नहीं दिखाई दे रहा है। अब बारिश कब होगी