- कई संतों को उनकी कार्यशैली के कारण संत श्रेणी में रखने से ही किया था इंकार
- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ऐसे लोगों को नहीं मानता संत
प्रयागराज- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की ओर से निष्कासित करने के बाद से विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों तरफ से ही आरेाप प्रत्यारोप जारी है। वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से पहले भी कई महात्माओं को संत मानने से इंकार किया जा चुका है। परिषद की ओर से प्रयागराज समेत अन्य प्रदेशों के कई संतों का फर्जी संतों की सूची में शामिल किया था। इसमें कुशमुनि, स्वघोषित शंकराचार्य त्रिकाल भवंता, ओम नम: शिवाय के गुरुदेव, क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान के प्रमुख योगी सत्यम समेत कई लोग फर्जी संतों की सूची में शामिल किए गए थे। अखाड़ा परिषद की ओर से फर्जी संतों के नाम की सूची जारी होने के बाद विवाद शुरू हो गया। सूची में शामिल संतों ने अखाड़ा परिषद के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था।
महामंडलेश्वर बनाने के बाद करना पड़ा निष्कासित
योग गुरु आनंद गिरी के निष्कासन में जो आरोप लगाए गए हैं। वैसे ही आरोप लगाने के बाद महामंडलेश्वर बनाए गए सचिन दत्ता को भी अखाड़ा से निष्कासित किया गया था। बाघम्बरी मठ के पास ही हुए भव्य आयोजन में अखाड़ा परिषद की ओर से उन्हें महामंडलेश्वर बनाया गया था। जिसमें साधु संतों के साथ ही कुछ राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हुई थी। महामंडलेश्वर बनाए जाने वाले कार्यक्रम के दौरान हेलीकाप्टर से हुए पुष्पवर्षा के बाद ही विवाद तूल पकड़ने लगा। शराब व्यवसायी सचिन दत्ता के कार्य और महामंडलेश्वर बनने के बाद भी परिवार के साथ संबंध रखने के भी आरोप लगने लगे थे। जिसके बाद अखाड़ा परिषद की ओर से उन्हें निष्कासित किया गया था। इसी प्रकार कुंभ के पहले गोल्डेन बाबा, राधे मां, स्वामी नित्यानंद को भी निष्कासित किया गया था। हालांकि बाद में स्वामी नित्यानंद, गोल्डन बाबा को फिर से अखाड़े में जगह मिल गई थी।
संतो के ऊपर पहले भी लगे थे कई संगीन आरोप
- क्रियायोग गुरु योगी सत्यम की बेटी ने ही पिता के खिलाफ दर्ज करायी एफआईआर
प्रयागराज- झूंसी एरिया में स्थित क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान के प्रमुख क्रियायोग गुरु योगी सत्यम के खिलाफ कर्नलगंज पुलिस ने 2018 में मुकदमा दर्ज किया था। योगी सत्यम के ऊपर सैक्सुअल हरसमेंट समेत कई संगीन मामलों में मुकदमा दर्ज कराने वाली युवती खुद को योगी सत्यम की बेटी बता रही थी। पीडि़ता का आरोप था कि उसके साथ लगातार यौन उत्पीड़न किया गया। पीडि़ता ने जब विरोध दर्ज कराया तो उसे बंधक बनाकर कई दिनों तक अलग-अलग स्थानों पर बंधक बना कर रखा गया था। पीडि़ता की ओर से तहरीर मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी।
प्रयागराज में हत्याओं का भी रहा है इतिहास
संतों के ऊपर सिर्फ आरेाप तक ही मामले सीमित नहीं रहे है। हत्या के मामले भी इसमें रहे है। 2005 में शिष्यों के साथ माघ मेला से लौटते समय सिटी के हंडिया थाना एरिया में कुछ लोगों ने उनके ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग करके हत्या कर दी। इस हत्याकांड के आरोपी विधायक चन्द्रभद्र सिंह और संत ज्ञानेश्वर में बाराबंकी के आश्रम को लेकर विवाद चलने की बात सामने आयी थी। दोनों की तरफ से एक-दूसरे पर हमले के कई मुकदमे दर्ज थे। इस मामले में सुल्तानपुर में भी मुकदमा चल रहा था। संत ज्ञानेश्वर की हत्याकांड के सात साल बाद ही संत ज्ञानेश्वर के 16 आश्रमों के कर्ताधर्ता आश्रम के प्रबंधक राम सहाय सिंह की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रबंधक का सुल्तानपुर के बाहुबली सोनू-मोनू के साथ विवाद चलने की बात सामने आयी थी।