प्रयागराज (ब्यूरो)। पीठ ने कहा, भले ही डर से कोई प्राथमिकी दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हो, यदि अपराधी के क्रियाकलाप गिरोह की परिभाषा में आ रहे हों तो बिना किसी केस दर्ज हुए गिरोह बंद कानून के तहत अभियोग की कार्यवाही की जा सकती है। प्रश्नगत मामले में सामूहिक दुष्कर्म किया गया। प्राथमिकी दर्ज न करने की धमकी दी गई। इतनी दहशत फैलाई कि प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी। ऐसे अपराध के लिए गिरोहबंद कानून के तहत कार्यवाही सही है। आरोपियों ने लोक व्यवस्था अस्त व्यस्त कर दी। समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर भय का माहौल बनाया। पीठ ने दर्ज आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। दोनों आरोपित ग्राम टांडा खेड़ा, अजीमनगर रामपुर के निवासी हैं। उनके खिलाफ रामपुर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज है। पुलिस का कहना दोनों अपराधों में लिप्त हैं। गैंग बनाकर अपराध करते हैं और दहशत फैला रखी है। कोर्ट ने गिरोह बंद कानून के उपबंधों का परिशीलन किया और कहा कि क्रियाकलाप गैंग अपराध के हैं तो बिना केस के भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की जा सकती है।