प्रयागराज (ब्यूरो)। वैसे तो ईद चांद दिखने के अगले दिन मनाने का प्रावधान है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह पर्व सोमवार को मनाया जायेगा। त्योहार में अब कुल चार दिन का ही समय बचा है तो लोगों ने तैयारियों को फिनिशिंग टॅच देना शुरू कर दिया है। सेवई दुकानों में अभी से भीड़ दिखाई देने लगी है। किमामी सेवई की डिमांड ज्यादा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की बातचीत में सेवई कारोबारी नुसरत नवाबी ने बताया कि कोरोना के बाद पहली बार लोग घर से बाहर निकल रहे हैैं। कई प्रकार की सेवईयां होने के बाद भी सबसे अधिक किमामी सेवई मांगी जा रही है।

सेवई का रेट ( प्रति किलो में)
मोटी सेवई - 50 रुपए
मीडियम सेवई-60 रुपए
किमामी सेवई- 80 रुपए
दूधफेनी सेवई -120 रुपए
सूतफेनी सेवई- 130 रूपए

तैयार सेवई भी मार्केट में
इस बार ईद पर लोगों को सेवई घर पर पकाने के लिए टाइम स्पेंड करने की भी जरूरत नहीं होगी। घंटाघर स्थित हाजी स्वीट्स के मालिक शफीकुर्रहमान बताते हैं कि उन्होंने इस बार तैयार सेवईं भी बिक्री के लिए बनवाई है। इसका रेट 180 रुपये प्रतिकिलो रखा गया है। इसे परचेज करने वाले को कुछ भी नहीं करना है। आर्डर देकर इसे परचेज करना है और घर ले जाकर सर्व कर देना है। इससे घर में लोगों का काफी टाइम सेव होगा। इसे ईद के एक दिन पहले तैयार कर दिया जायेगा। इसका रिस्पांस भी अच्छा है।

सेवईं ईद की पहचान है। रोजा रखना और खुदा की इबादत करने के बाद ईद मनाने का दिन आता है तो सेवईं की मिठास ही लोगों को एक-दूसरे के घर खींच ले जाती है। हमारे यहां तो तीन तरह की सेवईं बनाई ही जाती है।
अबरार अहमद

ईद का त्योहार और सेवईं एक-दूसरे के पूरक हैं। पूरे साल इसका इंतजार होता है। सेवईं के बिना तो ईद का सेलीब्रेशन ही पूरा नहीं होता। हर घर में इसे तैयार किया जाता है।
तेजउद्दीन

मिठाई व नमकीन के व्यवसाय में रमजान का महीना बड़ा महत्व रखता है। रमजान मुबारक आने से हफ्ता भर पहले से सुतफेनी खाजा बनने का काम शुरू हो जाता है। इफ्तार के वक्त जाफरानी इमरती की मांग रहती है। रमजान के आखरी सप्ताह में सेवई की मांग बढती है।
शकीउर्रहमान, मिठाई व्यवसायी