प्रयागराज (ब्यूरो)। गवाह उमेश पाल अपहरण कांड में कुल 142 पेज में कोर्ट के द्वारा फैसला सुनाया गया है। इसमें मुकदमें में से जुड़े वह हर तथ्य व बयान दर्ज किए गए हैं। अभियोजन यानी उमेश पाल की ओर से कोर्ट में कुल 19 अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किए गए थे। अदालत में 08 साक्ष्य मौखिक रूप से दिए गए। मौखिक रूप से दिए गए साक्ष्यों में सबसे ज्यादा गवाही पुलिसकर्मियों की रही। यही व साक्ष्य और गवाह रहे जिसके आधार पर अपहरण के आरोपित अतीक अहमद और दिनेश पासी व खान शौलत हनीफ को मंगलवार दोपहर सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
इन पुलिस कर्मियों की हुई थी गवाही
एमपीएमएलए कोर्ट में चल रहे इस मामले में करीब 400 तारीखें लगी थीं। यही वह तारीखें थी जिन पर पूरे मुकदमे सुनवाई और बहस व गवाही कोर्ट के सामने हुई। मंगलवार को कोर्ट द्वारा पूरे मामले में कुल 142 पेज में यह ऐतिहासिक फैसला लिखा गया। पेज नंबर 05 और 06 पर गौर करें तो उमेश पाल की ओर से अभियोजन के द्वारा कुल 19 अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किए गए थे। इन साक्ष्यों में टाइपशुदा तहरीर से लेकर नक्शा नजरी, आरोपपत्र बरामदगी फर्द, चिक प्रथम सूचना रिपोर्ट, तहरीर जैसे अन्य साक्ष्य शामिल हैं। जबकि मौखिक साक्ष्य के रूप में कुल 08 गवाह कोर्ट के सामने पेश किए गए थे। इन गवाहों में एक खुद कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल ही था। दूसरा गवाह अपहरण कांड का प्रत्यक्षदर्शी दिलीप पाल था। इन दोनों के अतिरिक्त छह गवाह पुलिस अधिकारी और कांस्टेल रहे। गवाही देने वाले उन छह पुलिस कर्मियों में एक मामले के विवेचक धूमनगंज थाने के इंस्पेक्टर खुद थे। इनके अतिरिक्त कांस्टेबल बृजेंद्र कुमार की भी गवाही हुई थी। क्योंकि वह चिक लेखक था। हेड कांस्टेबल चंद्रेश उपाध्याय की भी गवाही कराई गई थी। प्रकरण के विवेचक रहे क्षेत्राधिकारी सत्येंद्र कुमार तिवारी और निरीक्षक राजहंस शुक्ला एवं कांस्टेबल लक्ष्मीनारायण द्विवेदी भी मौखिक साक्ष्य के रूप में कोर्ट में गवाही दी थी। यही वह साक्ष्य और गवाह थे जिसके दम पर कोर्ट में अतीक अहमद और दिनेश पासी एवं खान शौकत हनीफ पर आरोप साबित हुआ था।
सफाई
अशरफ, शौलत व दिनेश ने दी थी सफाई
कोर्ट में खान शौलत हनीफ ने कहा था कि अतीक अहमद के मुकदमों की पैरवी करने के कारण उसे फंसाया गया। क्योंकि अतीक अहमदसे वादी यानी उमेश पाल की पुरानी रंजिश चल रही है।
अपनी सफाई में दिनेश ने कहा था कि घटना के दो वर्ष पूर्व वादी यानी उमेश पाल उसकी बाइक व दुकान जला दिया था। दुकान में लूटपाट भी किया था।
जिसका मुकदमा कैंट थाने में दर्ज किया गया था और चल रहा है। इसी रंजिश के कारण उसे फंसाया गया है।
आबिद ने सफाई देते हुए कोर्ट को बताया था कि घटना के समय वह जेल में बंद था। जबकि खालिद अजीम उर्फ अशरफ ने कहा था कि सत्ता परिवर्तन के क्रम में राजूपाल की पत्नी के दबाव में सरकारी तंत्र से मिलकर झूठा मुकदमा पंजीकृत कराया गया है।
राजू पाल हत्या कांड में वादी उमेश पाल की गवाही के दौरान वह नैनी जेल में बंद था। साथ ही अपने मुकदमे में बचाव में प्रतिपरीक्षा साक्षी प्रस्तुत करेगा।
पिस्टल बरामद न होने से बच गया अशरफ
उमेश पाल अपहरण कांड के संबंध में ही विवेचना के बाद पुलिस ने आम्र्स एक्ट का एक मुकदमा दर्ज किया था। आरोप था कि उमेश पाल के अपहरण में जिस पिस्टल का इस्तेमाल हुआ वह अशरफ की लाइसेंसी पिस्टल थी। पुलिस ने कस्टडी रिमांड पर लेकर उससे गहन पूछताछ भी की। लेकिन वह पिस्टल नहीं बरामद कर सके। कानून के जानकारों का कहना है कि कोर्ट में यह बात भी उसके पक्ष में गई। इसीलिए पिस्टल की बरामदगी ना होने से उसको इस केस में राहत भी मिली है।