प्रयागराज (ब्यूरो)। शरीर को लगातार पानी मिलना चाहिए। लेकिन जब यही पानी दूषित होता है तो संक्रामक रोग की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। वहीं बाजार में पानी को शुद्ध करने के लिए कई तरह के वाटर फिल्टर बिक रहे हैं। इसके साथ लोगों को बंद बोतल व कैंपर पानी उपलब्ध करा साफ और शुद्ध पानी का दावा किया जा रहा है। लोग अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ न करें और शुद्ध पानी पिएं। इसी भावना के साथ दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने 'सेहत न बिगाड़ दे पानीÓ नाम से खास कैंपेन की शुरुआत की थी। जिसमें घरों में सप्लाई होने वाले पानी से लेकर कैंपर और बंद बोतल में कितना शुद्ध पानी है। इन सभी की जांच कर लोगों को जागरूक किया गया। कैंपेन के जरिए बताया गया कि दूषित पानी पीने से क्या-क्या बीमारियां हो सकती है। इस बाबत दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने जलकल विभाग व नगर निगम स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के साथ परिचर्चा की। परिचर्चा में अधिकारियों ने कहा कि वे जांच के लिए टीम बनाएंगे। जगह-जगह जाकर सैंपल भी लेंगे। आरटीआई एवम सामाजिक कार्यकर्ता ऐश्वर्य पांडेय ने भी जल की गुणवत्ता बनाए रखने पर टिप्स दिए।

प्रधान लिपिक स्वास्थ्य विभाग को मिली जिम्मेदारी
नगर निगम कार्यालय के बेसमेंट में बने स्वास्थ्य विभाग के डिपार्टमेंट में परिचर्चा आयोजित की गई। इस दौरान एनवायरमेंट अफसर से लेकर प्रधान लिपिक, जल विभाग के अधिशाषी अभियंता मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि प्रधान लिपिक अरूण कुमार जैन के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई है। जो कैंपर वाला पानी का सैंपल लेकर जांच करेंगी। जिसमें जल व खाद्य सुरक्षा विभाग की भी मदद ली जाएगी। इसके साथ कछारी व अन्य एरिया में जाकर सप्लाई होने वाली पानी की शुद्धता की भी जांच करेगी। अगर कहीं बंद बोतल पानी की शिकायत आती है तो खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को सूचित कर सकते हैं।
परिचर्चा में यह भी सामने आया कि पब्लिक की सुविधा के लिए शिकायत करने हेतु एक नंबर भी जारी किया जाएगा। जिसमें लोग पानी से संबंधित समस्याओं को लेकर शिकायत दर्ज करा सकते हैुं।


पानी में होती हैं कई प्रकार की अशुद्धियां

इस दौरान अधिकारियों के समक्ष आरटीआई एवम सामाजिक कार्यकर्ता ऐश्वर्य पांडेय ने बताया कि पानी में दो तरह की अशुद्धियां होती हैं ,घुलनशील और अघुलनशील। ये केमिकल और बायलॉजिकल होती हैं। पीएच वेल्यू 7 से नीचे होने पर पानी ऐसिडिक होता है। 7 से ऊपर होने पर पानी अल्केलाइन होता है। हमारा शरीर 97 फीसदी तक अल्केलाइन है। पीने लायक पानी का पीएच वैल्यू 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए। बीआईएस और डब्लूएचओ के मापदंडों में कहीं भी यह नहीं बताया है कि टीडीएस कम से कम कितना हो। फिर भी हमे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे आरओ में कम से कम 50एमजी लीटर टीडीएस पानी निकले। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने पैकेज्ड ड्रिंकिंग और मिनरल वाटर दोनों के लिए अलग अलग स्टैंडर्ड सेट किए हैं। पानी खरीदते वक्त बोतल की पैकेजिंग और उसके साथ लगे टैग पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। जिस बोतल पर आईएसआई का मार्क हो, वह पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर है। जबकि यदि बोतल पर आईएसआई का मार्क हो सीधा सा मतलब है कि यह मिनरल वाटर है।


आइए जानते हैं जांच के तरीके
पानी का कलर
सबसे पहले एक कांच के गिलास में पानी को रखकर उसका कलर देखें। पानी अगर पीला या ब्राउन है या फिर उसमें किसी तरह के कण नजर आ रहे हैं तो समझ जाएं कि आपका पानी लो-क्वालिटी का है। अगर आपके घर में वॉटर फिल्टर लगा हुआ है और उसमें से इस तरह का पानी आ रहा है तो ऐसा हो सकता है कि आपके वॉटर फिल्टर की बहुत दिनों से सर्विंसिंग नहीं हुई हो।

ट्रांसपेरेंसी-
पानी के रंग के साथ-साथ पानी में कितनी पारदर्शिता है, इसे भी जरूर जांचे। अगर आपके पानी का रंग अलग है या फिर किसी भी तरह के पार्टिकल्स हैं तो वह पानी धुंधला नजर आएगा। पानी में यदि मिट्टी के कण होते हैं, तब भी वह धुंधला नजर आता है। ऐसे पानी को नहीं पीना चाहिए।

पानी को करें टेस्ट-
पानी की शुद्धता का पता आप चखकर भी लगा सकते हैं अगर चखने पर पानी कड़वा लगे तो समझें यह खराब हैं। अगर पानी में धातु जैसा स्वाद आ रहा है तो इसका मतलब इसमें धात्विक अशुद्धियां जैसे कैलशियम, मैग्निशियम आदि मिली हुई है, अगर पानी में ब्लीच का स्वाद आ रहा है तो इसका मतलब पानी में क्लोरीन मिली हुई है। कभी-कभी पानी थोड़ा नमकीन लगता है यह सल्फेट की मौजूदगी दर्शाता है।

पानी में महक
पानी में यदि किसी भी तरह की महक आ रही है तो भी आपको इस तरह का पानी पीने से पहले उसकी जांच कर लेनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि कई बार जिस बर्तन में आप पानी पी रहे हैं, वह सही से धुला हुआ नहीं होता है या फिर उसमें से किसी तरह की गंध पहले से आ रही होती है तो भी आपके पानी में से महक आ सकती है।

बर्तन को करें चेक
कई बार पानी खराब होने से बर्तन पर इसके निशान पडऩे लगते हैं और बर्तन का रंग बदल जाता है वहीं, नल का भी रंग बदल जाता है। ऐसे में पानी को फिल्टर करके ही पिएं।

स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बीच-बीच में सप्लाई वाले पानी की गुणवत्ता जांच करेगी। इसके लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ कुछ जांच करने का दायरा जल विभाग व खाद्य सुरक्षा डिपार्टमेंट के पास है। उनसे भी संपर्क कर इस पर वर्किंग करेंगे। जिससे पब्लिक को हर जगह शुद्ध पानी मिल सके। कोशिश पूरी होती है कि लोगों तक पहुंचने वाला पानी शुद्ध हो।

उत्तम कुमार वर्मा, एनवायरमेंट अफसर नगर निगम स्वास्थ्य विभाग