प्रयागराज ब्यूरो । वर्ष 2025 तक देश को टीबी रोग मुक्त बनाए जाने के अभियान ने तेजी पकड़ ली है। इसके तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 15 मई से अगले 21 कार्य दिवसों तक विशेष अभियान चलाकर रोगियों को घर घर खोजा जाएगा। इसके लिए सभी सीएचओ को प्रशिक्षित किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस अभियान की सफलता के बाद टीबी पर अंकुश लगाने में बड़ी सफलता मिलेगी।

अभियान में सीएचओ की अहम भूमिका

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर टीबी रोगियों के चिन्हीकरण, जांच, उपचार, निटीबी पोषण योजना के तहत राशि का सीधे बैंक में ट्रांसफर, काउंसलिंग एवं सामाजिक सहयोग देने में खास भूमिका अपेक्षित है। जनपद में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर सीएचओ की नियुक्ति की गई है। इस अभियान में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की भूमिका अहम है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से दूर वाले इलाकों और बीते दो वर्षों में टीबी रोगी या कोविड रोगी वाले चिन्हित स्थलों पर यह अभियान चलेगा।

हर सप्ताह लगेगा शिविर

हर सेंटर पर हर सप्ताह तीन-तीन शिविर लगाए जाएंगे। शिविर से पहले आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर टीबी रोग के लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनकी लिस्टिंग करेंगी शिविर वाले दिन उन्हें शिविर तक लाएगी। इसके बाद सीएचओ उनकी जांच करेंगे। आवश्यकता पडऩे पर समस्त सैम्पल को नजदीकी जांच केंद्र पर भेजेंगे। जांच पॉजिटिव आने पर तत्काल नोटिफिकेशन कर तुरंत मरीजों का उपचार शुरू कर दिया जाएगा।

मरीज के संपर्कियों को दी जाएगी दवा

जिला कार्यक्रम समन्वयक टीबी रोग के एसके सैमसन ने गुरुवार को प्रशिक्षक के तौर पर मौजूद 49 सीएचओ को कार्यक्रम के उद्देश्य कार्यप्रणाली और दायित्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने टीपीटी (टीबी प्रिवेन्टिव ट्रीटमेंट ) कार्यक्रम के बारे में बताया। कहा कि ट्रीटमेंट से लक्षण युक्त व्यक्ति के संकमित होने से पहले की दवा हैं जोकि टीबी संक्रमण को होने से बचाएगी साथ ही ये दवा टीबी मरीज के साथ रहने वाले अत्यंत निकट सम्पर्की व्यक्तियों को भी दी जाएगी। कार्यक्रम के तहत पांच साल तक के बच्चो को प्रिवेशन की दवा पहले ही दी जा रही हैं। अब ये बड़ो को भी खिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि मरीज के साथ रहने वालों को भी मास्क व स्वच्छता का ध्यान न रख पाने के कारण टीबी संक्रमित हो सकते हैं ।

वाला अभियान प्रभावशाली साबित होगा। इसमें मरीज के संपर्कियों को भी प्रिवेंशन के लिए दवा दी जाएगी। साथ ही आशाएं घर- घर मरीज खोजेंगी और फिर इनको शिविर में लाकर इलाज शुरू कराया जाएगा।

डॉ। एके तिवारी, डीटीओ प्रयागराज