प्रयागराज (ब्यूरो)। हर हाल में सभी पैरेंट्स को अपने बच्चों के लिए समय निकालना होगा और उनके साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करना होगा। यह कार्य एक दो बार नहीं बल्कि अपने दिनचर्या में शामिल करना होगा। तय कर लें कि हफ्ते में एक दिन, या दस दिन पर या फिर पंद्रह दिन पर काउंसिलिंग करेंगे। यह कार्य आपकी लाइफ में एक जॉब की तरह होना चाहिए। बच्चों को साइबर अपराध से बचने व अच्छे बुरे चीजों के बारे में बताना होगा। क्योंकि, दिन पर दिन टेक्नोलॉजी हाई-वाई होने के साथ साइबर अपराधी भी हाईटेक होते जा रहे है। यह बातें साइबर एक्सपर्ट व थाना प्रभारी राजीव कुमार तिवारी ने संस्कृति आईएएस कोचिंग में मौजूद बच्चों व अभिभावकों को बता रहे थे।
पैरेंट्स रहें अलर्ट
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा सोशल मीडिया की दुनिया में अधिक समय व्यतीत कर रहा है तो अलर्ट हो जाएं.उससे कम्युनिकेशन करें और उसे सोशल मीडिया एडिक्शन के दुष्प्रभावों से रूबरू कराएं। जो आप आसपास देख अच्छे व बुरे चीजों को देख रहे या फिर न्यूजपेपर में पढ़ रहे है। उन चीजों का उदाहरण देकर बच्चों को समझाएं। बच्चों को भी समझने की जरूरत है। कोई भी शॉर्ककट रास्ता आपको सही स्थान पर नहीं पहुंचा सकता है। थोड़ी देर के लिए अच्छा जरूर लगेगा। लेकिन जीवन भर आपको अंधेरे में धकेल देगा। किसी भी ऑनलाइन गेम द्वारा या साइबर अपराध के रास्ते पर चलकर कमाया पैसा आपको हमेशा गलत रास्ते पर ही ले जाएगा। इस बात का जरूर ध्यान दें। किसी लालच, ऑफर में फंसना नहीं है। हमेशा जागरूक रहना है। कोई भी काम करने से पहले सौ बार उसके परिणाम के बारे में जरूर सोच लें। यह कहना था साइबर एक्सपर्ट जय प्रकाश का था।
साइबर स्टॉकिंग का रहता है खतरा
साइबर एक्सपर्ट प्रियांशी सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया के खतरे से बच्चों को बचाने के लिए पैरेंट्स कोई तरह से काम करने की जरूरत है। वह फोन में कौन सा एप्लीकेशन डाउनलोड कर रहा है। इसके लिए सेटिंग के जरिए पैरेटिंग कंट्रेाल का यूज कर सकते हैं। कई बार बच्चे साइबर स्टॉकिंग के शिकर हो जाते है। उससे बचने के लिए मोबाइल फोन के नोटिफिकेशन को बंद करके रखना चाहिए। इसके साथ ही बच्चे किस साइट पर बार-बार जाते है। कौन सा गेम खेलता है। यह भी आपको जानना जरूरी है। कई गेम ऐसे है। जो बच्चों को कुछ भी करने व स्टेप उठाने पर मजबूर तक कर देता है।
लड़कियां सबसे ज्यादा हंै एक्टिव
साइबर एक्सपर्ट प्रीति पांडेय बताती है कि साइबर क्राइम सेल में टीनएजर्स से जुड़े अभी तक जितने भी मामले आए है। उसमें सोशल मीडिया के चलते लड़कियों को ज्यादा प्राब्लम आई है। रिसर्च में लड़कों (टीनएजर्स) की तुलना में लड़कियों के इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूटयूब पर अकाउंट ज्यादा पाए गए है। जिस तरह इंटरनेट में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। बच्चों में भी इसका क्रेज बढ़ रहा है। इंटरनेट के चलते बच्चे ऑनलाइन गेमिंग की ओर ज्यादा रुचि दिखा रहे है। ग्लोबल वेब वल्र्ड देखकर बच्चों का बिगाडऩा स्वाभाविक है। इसपर पैरेंट्स को सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
सावधानी के साथ आगे बढ़े
साइबर एक्सपर्ट प्रियंका दुबे बताती है कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता, क्योंकि हर चीज ऑनलाइन है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सोशल मीडिया पर है। यह जानना जरूरी है कि इसका यूज कितना और कैसे सावधानी के साथ किया जाए। यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसका कोई तय एरिया नहीं है। अगर आगे बढ़े तो कोई सीमा नहीं है। यह टीनएजर्स के लिए सबसे खतरनाक प्लेटफार्म है और उसपर लगाम केवल उनके पैरेंट्स ही लगा सकते है।
साइबर से जुड़े प्रश्न भी तो आते हैं
सिविल सेवा कोच व इंटरव्यू एक्सपर्ट केपी द्विवेदी बताते है कि सोशल मीडिया के खतरे को पहले ही भाप लिया गया था, लेकिन कोरोना काल में बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन देना मजबूरी बन गई। सोशल मीडिया पर अक्सर वे बच्चे ज्यादा गलत कामों में फंसते हैं, जो आइसोलेटेड न्यूक्लियर फैमिली से होते हंै। बच्चों को फोन देने के साथ उनके फोन पर नजर रखने से ज्यादा उनको सही-गलत के बारे में बताना जरूरी है। आज के समय में पैरेंट्स के पास टाइम नहीं है। या फिर बच्चे को पढऩे के लिए दूरदराज व अकेले छोड़ रखे हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों के साथ बीच-बीच में व टाइम पर काउंसिलिंग करते रहे। ताकि बच्चा भटकने की वजह सही चीजों के बारे में समझ सके।
इन बातों को भी रखें ध्यान
किसी भी हाल में ओटीपी शेयर न करें
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किसी भी लालच व ऑफर में फंसने की जरूरत नहीं है।
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साइबर अपराधी द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक करने से पहले अच्छी तरह से पड़ताल कर लें।
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