प्रयागराज (ब्‍यूरो)। ये कारनामा बड़ा अजीबो गरीब है। अक्सर ऐसा होता नहीं है पर यूपी पुलिस है। और जैसा की आप जानते हैं कि पुलिस है तो कुछ भी कर सकती है। ताजा मामला जार्जटाउन पुलिस का है। जार्जटाउन पुलिस पर वर्क लोड ज्यादा है या फिर शायद चोरी की जांच में इतना वक्त लग ही जाता है ये दोनों मामला जांच का है, फिलहाल, जार्जटाउन पुलिस ने चोरी की एफआईआर दर्ज करने में 18 दिन लगा दिए। पीडि़त प्रोफेसर पूरे धैर्य के साथ 18 दिन तक पुलिस की कार्रवाई का इंतजार करते रहे। आखिरकार पुलिस ने चोरी का मुकदमा दर्ज कर लिया है। अब प्रोफेसर को चिंता है कि जब केस दर्ज होने में 18 दिन लग तो खुलासा होने में न जाने कितने दिन लग जाएं। ऐसे में प्रोफेसर को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि वह करें तो आखिर क्या।

पुणे में परिवार के साथ रहते हैं प्रोफेसर
तुला रामबाग के रहने वाले प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा अपने परिवार के साथ पुणे में शिफ्ट हैं। प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा अपनी पत्नी और मां के साथ पुणे में रहते हैं। जबकि उनके दो बच्चे प्रणव और गार्गी अमेरिका में जॉब करते हैं। तुला रामबाग में मकान की देखरेख के लिए प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा ने एक केयर टेकर योगेंद्र मिश्रा को रखा है। महीने दो महीने में प्रोफेसर का अपने घर आना जाना लगा रहता है।

ये है मामला
20 जून की रात केयर टेकर योगेंद्र मिश्रा घर में ताला बंद कर कहीं गया था। 21 की सुबह वह पहुंचा तो घर का हाल देखकर दंग रह गया। दरवाजों के ताले टूटे हुए थे। सारा सामान बिखरा था। कीमती सामान और आलमारी में रखे जेवरात गायब थे। केयर टेकर योगेंद्र मिश्रा ने तत्काल पुणे फोन करके प्रोफेसर की पत्नी को पूरी घटना बताई। जिस पर प्रोफेसर शाम की फ्लाइट पकड़ कर लखनऊ आ गए। इसके बाद बाई बस लखनऊ से प्रयागराज आ गए। 22 जून की सुबह प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा ने जार्जटाउन थाना प्रभारी राजीव श्रीवास्तव को फोन से सूचना दी। इसके बाद पुलिस पहुंची। सारी जांच पड़ताल हुई। पास में ही रहने वाले प्रभाशंकर मिश्र के घर लगे सीसीटीवी फुटेज को निकालने की बात हुई। इसके बाद प्रोफेसर ने जार्जटाउन थाने में जाकर अपने घर हुई चोरी की तहरीर दी। पुलिस पांच दिन तक जांच करती रही। कोई जवाब नहीं मिलने पर प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा 27 जुलाई को वापस पुणे लौट गए।

नौ जुलाई को दर्ज हुई रिपोर्ट
जार्जटाउन पुलिस ने 22 जून को दी हुई तहरीर पर नौ जुलाई को केस दर्ज किया। इसके बाद एफआईआर की कॉपी प्रोफेसर आशुतोष मिश्रा को व्हाट्स एप पर भेजी।

यूपी पुलिस की प्रक्रिया इतनी सुस्त है, इसका पता मुझे पहली बार चला। अभी तक कभी पुलिस से वास्ता नहीं पड़ा था। पहली बार घर में चोरी की घटना हुई। 22 जून को तहरीर दी। रिपोर्ट नौ जुलाई को दर्ज की गई। ये किस तरह का सिस्टम चल रहा है, मेरी समझ से बाहर है।
प्रो आशुतोष मिश्रा, पीडि़त