दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के वेबिनार में ब्रेन संबंधी बीमारियों पर बोले एक्सपर्ट
न्यूरो में केवल स्ट्रोक ही मेन बीमारी नही है। इसके अलावा अन्य बीमारियों के लिए भी ब्रेन जिम्मेदार है। फोर्टिस हास्पिटल नोयडा के कंसल्टेंट डॉ। आतमप्रीत सिंह ने ये बातें बुधवार को कहीं। उन्होंने कहा कि सोचने की शक्ति, याददाश्त, हाथ पैर और बिहेवियर आदि भी ब्रेन से संबंधित होता है। न्यूरो प्राब्लम्स में कॉमन रूप से स्ट्रोक के अलावा लकवा, मिर्गी, सिरदर्द आदि बीमारियां भी होती हैं। यह कॉमन है ओर अधिकतर मरीजों में इनके लक्षण पाए जाते हैं। इसलिए यह सोचना कि केवल ब्रेन स्ट्रोक अकेली न्यूरो बीमारी है तो यह गलत होगा। वह बुधवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित वेबिनार लेट्स टाक मे बोल रहे थे। वेबिनार का सब्जेक्ट सिम्टम्स एंड ट्रीटमेंट आफ ब्रेन स्ट्रोक एंड अदर न्यूरोलाजिकल डिसआर्डर रखा गया था। ब्रेन स्ट्रोक के दस से बीस फीसदी मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है। जब ब्रेन के किसी हिस्से में खून का प्रवाह नही होता या बाधित हो जाता है तो इस एरिया की सर्जरी की जाती है। यह बात एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ। अमित कुमार सिंह ने कही।
इन लक्षणों से रहिए होशियार
एक्सपर्ट्स का कहना था कि ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को लेकर होशियार रहना चाहिए।
बहुत अधिक सर्दी और गर्मी पड़ने पर भी पक्षाघात, लकवा या स्ट्रोक के आसार बन जाते हैं।
इसके लक्षणों में अचानक बेहोश होना, मुंह का टेढ़ा हो जाना, ट्टी पेशाब का अन कंटा्रोल्ड हो जाना शामिल है।
खासकर 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में स्ट्रोक के चांसेज बढ़ जाते हैं।
जिन लोगों को बीपी, शुगर की शिकायत है उनको अधिक होशियार रहना होगा।
शरीर के किसी हिस्से में दर्द होना भी इसका एक लक्षण माना जा सकता है। जिसकी जांच कराना बेहद जरूरी है।
एक्सरसाइज से होगा बचाव
वेबिनार में व्यूअर्स की ओर से कई सवाल किए गए। जिनमें पूछा गया कि एक्सरसाइज से ब्रेन स्ट्रोक को काबू किया जा सकता है। इस पर एक्सपर्ट्स का कहना था कि चिंता करने की बात नही है। लोगों को सप्ताह में पांच दिन तक रोजाना 45 मिनट का वोकिंग करना चाहिए। इससे नुकसान नही होता है। इसके अलावा अगर कोई जिम करता है या कोई स्पोर्ट्स में रुचि रखता है तो उसे रोजाना इसकी प्रेक्टिस करनी चाहिए। लोगों को अपनी एक्सरसाइज में एरोबिक को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा शुगर, बीपी या हैवी स्मोकर्स को स्ट्रोक के प्रति होशियार रहना होगा। अधिक तनाव और नींद कम आना भी स्ट्रोक का कारण बन सकता है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि स्ट्राक के मामलों में दस से फीसदी में सर्जरी की जरूरत होती है। अन्य मामलों में दवाओं से बीमारी को ठीक किया जाता है।
लाइफ लांग खानी पड़ती हैं दवाएं
स्ट्रोक पड़ने के बाद चार घंटे बहुत इंपार्टेंट होते हैं। इस समय में किसी एक्सपर्ट के पास रहना जरूरी होता है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि ऐसा जरूरी नही कि गर्मियों में स्ट्रोक के मरीजों को हेडेक होता है। इसका और भी कारण होता है। अगर बीपी की शिकायत नही है तो लोगों को सिरदर्द के लिए अपना माइग्रेन चेक कराना होगा। सिरदर्द के और भी कारण हो सकते हैं। एक्सपर्ट्स ने बताया कि समाज में ब्रेन से जुड़ी बीमारियों को कर कई मिथक हैं इसलिए इन पर भरोसा नही करके डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।