प्रयागराज ब्यूरो । अगर किसी बच्चे में जन्मजात विकृति नजर आती है तो उसे अंधविश्वास मत समझें। उसके लक्षणों को समझकर डॉक्टर से इलाज कराएं। यह बात बेली अस्पताल की सीएमएस डॉ। शारदा चौधरी ने कही। वह शनिवार को विश्व क्लबफुट दिवस के मौके पर अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से हॉस्पिटल कैंपस में कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट मौजूद थीं। आयोजन के दौरान उन्होंने बच्चों व उनके परिजनों के साथ केक काटकर प्रसन्नता जताई।

इन्होंने बताए अपने अनुभव

1- कार्यक्रम में मौजूद परिजन मो। फजल ने बताया कि उनका दो साल दस माह का बेटा नूर हसन में जन्म से विकृति थी। उसका डेढ़ माह की उम्र से इलाज शुरू किया गया। अभी तक बच्चे का 6 कास्टिंग टेनाटमी और ब्रेस दिया गया है। अब वह सामान्य बच्चों की तरह चल रहा है1

2- परिजन जिया लाल ने बताया कि उनकी बेटी वंशिका पाल के पंजे जन्म से मुड़े हुए थे। यह देखकर वह चिंतित हो गए। उन्होंने बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम से संपर्क कर इलाज शुरू कराया। वंशिका इलाज के बाद अब सामान्य रूप से चल रही है।

कई बच्चों के जीवन में हुआ सुधार

इस अवसर पर डॉ। शारदा ने बताया कि सही समय पर इलाज से कई बच्चों का जीवन सुधर गया है। लेकिन इस केलिए परिजनों का जागरुक रहना बेहद जरूरी है। बताया कि कि डॉ इग्नासियो पोंसेटी के सम्मान में प्रतिवर्ष 3 जून को विश्व क्लबफुट दिवस के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को जन्म के समय किसी प्रकार की कोई जन्मजात विकृति नजऱ आये तो उसे अनदेखा न करे, तुरंत डाक्टर से मिलें। उन्होंने बताया कि क्लबफुट के उपचार में समय लगता है।। 6-8 प्लास्टर (कास्टिंग) के बाद टेनॉटमी तथा उसके बाद दिए जाने वाले ब्रेस के साथ ही इलाज पूरा होता है। पूरा उपचार करवाने से यह समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। जिला कार्यक्रम समन्वय अनुष्का फाउंडेशन के विक्रांत विश्वास ने बताया कि जनपद में पिछले 4 वर्षों से संस्थान कार्य कर रहा है। इसमें बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़ कर नवजात के चिन्हीकरण, उपचार एवं फोलअप किया जाता है। एक बच्चे के पूरा इलाज होने में लगभग 5 वर्ष तक लग जाते हैं। कार्यक्रम में डॉ एआर पाल, डॉ केके सिंह , डॉ सीएल वर्मा, डॉ राधेश्याम मौर्या तथा अस्पताल के स्टाफ मौजूद रहे।