प्रयागराज (ब्यूरो)। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से फीस वृद्धि की घोषणा के बाद से ही छात्र आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि फीस बढ़ाना गरीब छात्रों को पढ़ाई से रोकने जैसा कदम है। उधर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि फीस बढ़ाना जरूरी था। यह फैसला लम्बे समय बाद लिया गया है। इसे वापस लिया जाना संभव नहीं है।
शुक्रवार को कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी के प्रवेश गेट पर लगा ताला जबरन तोड़ दिया था। इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आई कार्ड दिखाने पर ही कैंपस में इंट्री करने की व्यवस्था लागू कर दी थी। शनिवार को छात्रों ने कैंपस में ही पकौड़ा तलने का फैसला लिया और दुकान भी सजा ली। कैंपस में ठेले पर उन्होंने केला, पकौड़ा, समोसा के साथ दूसरे फल रखे और उसे छात्रों के बीच बेचना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि बढ़ी हुई फीस जुटाने के लिए गरीब छात्रों को ऐसा ही करना होगा। ऐसा नहीं करने पर वे फीस नहीं जमा कर पायेंगे और पढ़ाई रुक जायेगी। ऐसे में वे ठेले पर सामान बेचने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। छात्रों ने कहा कि फीस वृद्धि वापस नहीं हुई तो वे उग्र आंदोलन करेंगे और इसकी जिम्मेदारी इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
फीस वृद्धि वापस लें
आमरण-अनशन पर बैठे छात्रों का प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने ट्विटर और सोशल मीडिया के माध्यम से छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया है। शिवपाल यादव ने कहा कि इविवि में 400 फीसदी वृद्धि करना तुगलकी फरमान है। यूनिवर्सिटी प्रशासन अपना फैसला वापस ले और छात्रों स्पष्ट, सार्थक व निर्णायक संवाद करे। यही छात्र हित में होगा यही देश हित में होगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ भवन पर फीस वृद्धि के विरोध में छात्रसंघ संयुक्त संघर्ष समिति के अजय यादव सम्राट के अगुवाई में छात्र आमरण अनशन कर रहे हैं। आमरण अनशन कर रहे छात्रों की हालत बिगडऩे के बाद समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन का तरीका बदल दिया है। अब तक आठ छात्र आमरण अनशन पर बैठ चुके हैं। इसमें से सात अस्पताल पहुंच गए और एक छात्र अभी अनशन पर बैठा है। इस दौरान सत्यम कुशवाहा, राहुल पटेल, आकाश, आयुष प्रियदर्शी, अविनाश, सुनील, आदित्य, मुबाशिर, अतीक, प्रदीप, शैलेश, सत्यम, अजय, आदर्श, आदि मौजूद रहे।
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