प्रयागराज ब्यूरो । उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की दो महत्वपूर्ण परीक्षाओं को दो दिन में चार और पांच पारियों में कराने का प्रस्ताव और नार्मलाइजेशन फॉर्मूले के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा चुके प्रतियोगी छात्र सोमवार 11 नवंबर से बड़ा आंदोलन शुरू करने की पृष्ठभूमि तैयार कर चुके हैं। उन्हें इसमें हाई कोर्ट बार, जिला अधिवक्ता संघ के अलावा सपा और कांग्रेस का भी समर्थन मिल चुका है। छात्र इस मुद्दे पर सम्पर्क अभियान भी चला रहे हैं। ट्विटर पर मिले रिस्पांस और दिल्ली में प्रदर्शन से उनका मनोबल बढ़ गया है। गुरुवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने छात्रों की मांग को इस सेंस में मजबूत कर दिया है कि प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियम नहीं बदले जा सकते।


प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि लोक सेवा आयोग अपनी व्यवस्था सुदृढ़ नहीं कर पा रहा है और न ही शायद करना चाह रहा है। विगत वर्षो में आये परिणामो में आयोग द्वारा की गई धांधली से हम सब वाकिफ हैं। ये तब हुआ है जब परीक्षा एक पाली में कराई गई है। यदि परीक्षा दो पाली में कराई गई तो हो सकता है आयोग अपने लोगों को भर ले और हम ये मान के संतोष कर ले कि हो सकता हो कि नॉर्मलाएजेशन में प्राप्तांक कम हो गए। आयोग द्वारा दो पालियों में परीक्षा आयोजित कराया जाना दु:खद एवं निंदनीय है। इसे आयोग का नाकारापन कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगा।
लगातार मिल रहा है समर्थन
छात्रों को हाई कोर्ट बार के बाद शनिवार को जिला अधिवक्ता संघ का थी समर्थन पत्र मिल गया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने एकाउंट से छात्रों के पक्ष में लिख कर समर्थन की घोषणा कर दी है। शाम होते होते उन्हें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राज का भी पत्र प्राप्त हो गया। इस विषय में जानकारी देते हुए प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशान्त पाण्डेय ने बताया कि छात्र लगातार अलग अलग संगठनों का समर्थन और सहयोग लेने की कोशिश कर रहे हैं। आयोग के इस मनमाने असंवैधानिक निर्णय के खिलाफ अब छात्र आरपार की लड़ाई के मूड में हैं। आन्दोलनकारी छात्र आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि हम लोग लगातार अलग अलग संगठनों और गणमान्य व्यक्तियों से समर्थन और सहयोग की अपील कर रहे हैं। शहर की तमाम कोचिंगों और लाइब्रेरी से संपर्क कर कर बंद करने का आग्रह किया गया है। हम लोग दिल्ली से लेकर प्रयाग तक सभी छात्र एकजुट हो कर एक व्यापक आन्दोलन कर रहे हैं।

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से छात्रों के वास्तविक प्रदर्शन का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता, जिससे मेरिट में असमानता उत्पन्न होती है। कई शिफ्ट में कठिनाई स्तर का अंतर और पारदर्शिता की कमी छात्रों पर मानसिक दबाव बढ़ाती है और परीक्षा प्रक्रिया पर परीक्षा कराने वाली संस्था पर अविश्वास उत्पन्न करती है। यह सभी परीक्षार्थियों को समान अवसर प्रदान करने के सिद्धांत के विरुद्ध है, इसलिए इस प्रणाली में सुधार अतिआवश्यक है।
एकता शुक्ला
प्रतियोगी छात्रा

प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा भी नॉर्मलाइजेशन पर और शिफ्ट वाइस होना छात्रों पर घोर अन्याय है। आयोग इसपर अपना रुख बदले और पेपर एक शिफ्ट में कराएं। लोगों के आक्रोश को समझे नही तो मजबूरी में घर के अंदर बैठकर पढ़ाई करने वाली लड़की को भी आयोग पर हाजिरी लगानी पड़ेगी हम विवश हो जाएंगे आयोग और सरकार हमारी पीड़ा को समझें।
पलक पांडे, प्रतियोगी छात्रा

सर्वोच्च न्यायालय के संविधान पीठ द्वारा दिये गए निर्णय के बाद पूर्णत: असंवैधानिक हो गया है यह पूरी तरह छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है और इस प्रकार का कृत्य छात्रों का मानसिक उत्पीडऩ करने के उद्देश्य से किया गया है। आयोग को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए पूर्व की भांति परीक्षा का आयोजन कराना चाहिए नहीं तो छात्र न्यायालय की शरण मे जाने को बाध्य होंगे,
प्रशान्त पाण्डेय
मीडिया प्रभारी, प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के साथ सबसे बड़ा धोखा नॉर्मलाइजेशन होता है। आयोग अपनी अयोग्यता को छिपाने के लिए एवं अभ्यर्थियों की योग्यता को दमित करने के लिए नॉर्मलाइजेशन जैसी अपारदर्शी, असंवेदनशील, दूषित, खंडित अमानवीय व्यवस्था को लाया है जिससे वह अपने भ्रष्ट आचरण को छुपा सके
आदेश शर्मा
प्रतियोगी छात्र