सुलेमसराय में कोरोना से जूझ रहा परिवार, होमआइसोलेसन में नियमों का कड़ाई से किया पालन

प्रयागराज- सुलेमसराय का एक परिवार ऐसा भी है जो लगातार कोरोना से जूझ रहा है। इस परिवार में पिछले छह माह में तीन मौत हो चुकी है। बावजूद इसके लोगों ने हिम्मत नहीं हारी है। वह लगातार इस जानलेवा बीमारी का मुकाबला कर रहे हैं। यह परिवार गिफ्ट शॉप संचालक राजेश गुप्ता का है। अक्टूबर में परिवार कोरोना की चपेट में आया था। इसके बाद से लगातार लोग संक्रमित हो रहे हैं। सबसे पहले व्यापारी की मां का निधन हुआ था।

आज तक नहीं भूले

राजेश बताते हैं कि सबसे पहले अक्टूबर में उनकी माता संक्रमित हुई थी और फिर उनका इस बीमारी से निधन हो गया। इस झटके को परिवार अभी तक नहीं भूला है। इस दौरान उनके छोटे भाई, उनकी पत्नी और बच्चे भी संक्रमित हुए। लेकिन वह होम आइसालेशन के दौरान ठीक हो गए। दो अप्रैल को पुन: राजेश गुप्ता की दोनों बेटियां संक्रमित हो गईं। उनकी मुंह का स्वाद और गंध चले जाने से परिवार को शक हुआ। डॉक्टर्स ने दोनों को होम आइसोलेशन में रखने की सलाह दी। धीरे धीरे दोनों रिकवर कर गईं। अब वह स्वस्थ हैं।

जूझ रहा बड़े भाई का परिवार

इसके बाद भी कोरोना ने इस परिवार का दामन नहीं छोड़ा है। वर्तमान में राजेश के बड़े भाई का परिवार भी संक्रमित हो गया है। उनको छोड़कर उनकी पत्नी सुमन और बेटा आयुष और बेटी इति संक्रमण से जूझ रहे हैं। वह अब खतरे से बाहर हैं और जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे। राजेश कहते हैं कि पूर्व में उनके बहन और बहनोई भी कोरोना संक्रमित हो गए थे। यह काफी कठिन दौर था।

नहीं मिला बेड, हो गया निधन

वह बताते हैं कि उनके चाचा का निधन कोरोना से हुआ। हालत खराब होने पर भी उनको किसी अस्पताल में बेड नहीं मिला और उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके चेचेरे भाई की भी कोरोना से मौत हो गई। इससे पूरा परिवार स्तब्ध है। हमलोगों ने इस बीमारी से काफी नुकसान झेला है। फिर भी लड़ रहे हैं। बेहतर खानपान और योग को अपने जीवन में समाहित किया है। मालूम है कि जरा सभी भूल से भविष्य में अधिक नुकसान हो सकता है।

नियमों का करिए पालन

राजेश कहते हैं कि कोरोना से बचाव के नियमों का पूरा पालन करिए। घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना चाहिए। सैनेटाइजर का इस्तेमाल जरूरी है। अगर लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराकर इलाज शुरू कर देना चाहिए। लेकिन किसी भी सूरत में कोरोना से डरना नहीं है। बस अपना ख्याल रखना है। क्योंकि अपनों के जाने का गम वही जानता है जिसके साथ यह होता है। उनका और उनके परिवार का लोगों को यही संदेश है।