प्रयागराज ब्यूरो ।हर साल इस सीजन में आवारा कुत्तों के काटने से हजारों लोग परेशान होते हैं। वर्तमान में देर रात सूनी सड़कों पर निकलना दूभर है। रोजाना बड़ी संख्या में मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। एक मरीज को इंजेक्शन लगवाने में दो से तीन घंटे का समय लग रहा है।
कठिन है इंजेक्शन रूम का सफर
लूकरगंज के राजीव शुक्ला को मंगलवार की देर रात कुत्ते ने दौड़ाकर काट लिया। वह जंक्शन से अपने रिश्तेदार को ट्रेन में बैठाकर बाइक से आ रहे थे। मार्निंग में बेली अस्पताल रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचे। सुबह नौ बजे पहुंचे। आधे घंटे में पर्चा बना। ओपीडी में 45 मिनट बाद नंबर लगा। इंजेक्शन रूम के बाहर भी आधा घंटा लग गया।
काल्विन और बेली में लगती है भीड़
प्राइवेट अस्पतालों और मेडिकल स्टोर में रैबीज का एक टीका पांच से छह सौ रुपए का है। सरकारी अस्पतालों बेली और काल्विन में यह फ्री आफ कास्ट लगाया जाता है। यहां अधिक भीड़ होने की वजह से अधिकतर लोग प्राइवेट में जाना पसंद करते हैं। लेकिन जो मजबूर हैं उन्हें कई घंटे तक अपने नंबर आने का इंतजार करना पड़ता है। इन सरकारी अस्पतालों में डाग बाइट के अधिक गंभीर मरीजों को लगाया जाने वाला टीका इम्यूनोग्लोब्यूलिन इजेक्शन भी मौजूद नही है। यह बाजार में काफी महंगा मिलता है। यह टीका पागल कुत्ते के काटने या डाग बाइट के गंभीर घाव ब्लीडिंग होने पर लगाया जाता है।
साठ हजार कुत्तों की नसबंदी
जुलाई के महीने में नगर निगम ने एक संस्था को आवारा कुत्तों की नसबंदी करने का ठेका दिया है। अभी यह प्रोजेक्ट इनीशियल स्टेज पर है। जबकि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 60 हजार से अधिक हो चुकी है। ऐसे में सभी की नसबंदी करना आसान नही है। इसमें कई साल लग सकते हैं। जबकि इस सीजन में कुत्तों की संख्या ब्रीडिंग की वजह से कई गुना रफ्तार से बढ़ती है। जिसको रोक पाना नगर निगम के बस का फिलहाल नही है।
इस सीजन में डाग बाइट के मामले बड़ी संख्या में आ रहे हैं। मेरी अपील है कि आवारा कुत्तों से दूरी बनाकर चलें। यह अचानक हमला करते हैं। अधिक मरीज आने की वजह से इंजेक्शन लगाने में थोड़ा समय लग जाता है।
डॉ। एमके अखौरी
अधीक्षक बेली अस्पताल