प्रयागराज ब्यूरो ।अगर आप सोच रहे हैं कि स्ट्रीट डॉग के आतंक से नगर निगम आपको बचाएगा तो भूल जाइए। डाग बाइट से बचने के लिए आपको खुद अपनी सुरक्षा करनी होगी। क्योंकि काफी जद्दोजहद के बाद नगर निगम स्ट्रीट डॉग्स नसबंदी और वैक्सीनेशन की शुरुआत कर सका है और यह प्रोजेक्ट भी अभी इनीशियल स्टेज पर है। इससे आम जनता को फिलहाल कोई बड़ा फायदा होने नही जा रहा है।
40 हजार में से 1300 की हुई नसबंदी
नगर निगम ने पहली बार किसी संस्था को स्ट्रीट डाग की नसबंदी और वैक्सीनेशन का काम दिया है। डॉ दिनेश की यह संंस्था वार्ड वार आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कर रही है। 12 जुलाई से अभियान शुरू करने वाली संस्था ने अब तक 1300 स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी की है। जबकि आवारा कुत्तों की संख्या 40 हजार से अधिक बताई जा रही है। ऐसे में तय लक्ष्य तक पहुंचने में संस्था को काफी समय लग जाएगा। तब तक जानवरों की संख्या भी काफी अधिक हो जाएगी।
लंबे समय से चल रही थी मांग
स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी की कवायद लंबे समय से चल रही थी लेकिन नगर निगम को सफलता नही मिल रही थी। जिसका खामियाजा पब्लिक भुगत रही थी। हालांकि सफलता मिली भी तो बहुत अधिक नही। अधिकारियों का कहना है कि अभी इनीशियल स्टेज पर नसबंदी और वैक्सीनेशन का काम चल रहा है। अभी कम से कम छह माह का समय लगेगा। इसके बाद प्रॉपरली अभियान चलाया जाएगा।
इन वार्डों में अधिक है आतंक
स्ट्रीट डाग्स का सबसे ज्यादा आतंक शहर दक्षिणी और पश्चिमी के वार्डों में है। संस्था का कहना है कि हमारी ओर से अटाला, खुल्दाबाद और झूलेलाल नगर में अभियान चलाया गया है। बाकी वार्डों का नक्शा बनकर आ रहा है। इसके बाद वहां भी स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि करेली और लूकरगंज में भी स्ट्रीट डाग्स का अधिक आतंक है। रोजाना इन वार्डों से एक या दो शिकायत नगर निगम को मिलती है। जिसकी सूचना पर हमारी टीम जाकर अभियान चलाती है।
फैक्ट फाइल
शहर में कुल स्ट्रीट डाग्स- 40 हजार
अब तक हुई कितने स्ट्रीट डाग्स की हुई नसबंदी- 1300
कुल वार्डों की संख्या- 100
कितन वार्डों में चलाया गया अभियान- 3
ये हैं नसबंदी के फायदे
- स्ट्रीट डाग्स का अग्रेसिवनेस कम हो जाता है।
- उनके जरिए फैलने वाली संक्रामक बीमारियों पर लगाम लगती है
- आवारा कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या कम हो जाती है।
- खतरनाक स्ट्रीट डाग्स चिंहित कर लिए जाते हैं
वर्जन
अभी हमारे एरिया में आवारा कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन करने वाली टीम नही पहुंची है। हम भी चाहते हैं कि अभियान चलाकर इनके आतंक से बचाया जाए।
सत्य प्रकाश
आजकल घर से निकलना मुश्किल हो गया है। रात में बाइक और स्कूटी से निकलने पर आवारा कुत्ते दौड़ाकर काट लेते हैं। कई बार लोग भागमभाग में चोटिल हो जाते हैं। इससे लोगों में दहशत है।
रविंद्र गुप्ता
आवारा कुत्तों का परमानेंट इलाज करना जरूरी है। इसके लिए नसबंदी और वैक्सीनेशन जरूरी है। लेकिन इसे बड़े अभियान की तरह चलाने की जरूरत है। तभी जाकर बड़े परिणाम नजर आएंगे।
रमेश कुमार
जुलाई से अभियान शुरू किया गया है। अभी तक 1300 स्ट्रीट डाग की नसबंदी और वैक्सीनेशन हो सका है। जल्द ही बड़े पैमाने पर यह काम किया जाएगा। इससे लोगो ंको रैबीज से बचाने के साथ इनकी संख्या पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।
विजय अमृतराज, पशु धन अधिकारी नगर निगम प्रयागराज