प्रयागराज (ब्यूरो)। डा चितरंजन कुमार ने मुझे रह रह कर याद करती हो क्या। किसी और से मिलकर खुश हो क्या। खाई थी जो चांद रातों में कसमें, कभी फुर्सत में उन्हें याद करती हो क्या सुनाया। डा विनम्र सेन ने बादलों को आइना कर लो और उसी में सज सज संवर जाओ सुनाया। इस दौरान विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर हर्ष कुमार, प्रो अजय जेटली, प्रो योगेंद्र प्रताप, डा सुजीत कुमार सिंह, डा लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता एवं डा अमितेश कुमार मौजूद रहे। समापन पर वक्ताओं ने कहा कि विद्यार्थियों ने की काव्य रचना को सुनकर ऐसा महसूस हुआ कि इसमें जरूर कोई न कोई लेखनी एक दिन प्रखरता के साथ चलेंगी और सामाजिक विसंगतियों के साथ-साथ लेखन क्षेत्र में देश प्रेम और प्रेम को नए आयाम पर ले जाएगी।
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