प्रयागराज (ब्‍यूरो)। जब कोई व्यक्ति किसी कारणवश अवसाद और तनाव से गुजर रहा होता है तो उसकी हरकत कुछ अलग हो जाती हैं। आमतौर पर लोग इन पर ध्यान नही देते हैं। इन्ही को सुसाइडल मार्कर कहा जाता है। काल्विन अस्पताल स्थित मनोचिकित्सा केंद्र में ऐसे रोजाना एक या दो मामले आ रहे हैं। इसके अलावा कॉल भी आती हैं। इनमें अधिकतर मरीजों के परिजन उन्हें लेकर आते हैं। उन्हें हरकतों से शक हो जाता है।

क्या हैं सुसाइडल मार्कर?

- एकांत में रहने की कोशिश करना।

- हमेशा ख्यालों में खोए रहना।

- दूसरों से इंटरेक्शन कम करना।

- भूख न लगना या अधिक भूख लगना।

- हर चीज में नकारात्मक एप्रोच रखना।

- बात-बात पर मरने या मर जाने की इच्छा व्यकत करना।

- हर बात को छिपाने की कोशिश करना।

तीन दर्जन से अधिक मामले

पिछले दो माह में शहर में सुसाइड के तीन दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं। खास बात यह कि इनमें सभी वर्ग और उम्र के लोग शामिल हैं। किशोर से लेकर वृद्ध् और पुरुष से महिलाएं, सभी अपनी जान दे रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि लोगों में संघर्ष की भावना खत्म हो रही है। अब वह परेशानियों के आगे जल्दी घुटने टेक देते हैं। वह किसी से मदद भी नही मांगते हैं।

तीन अहम कारण आए सामने

काल्विन हॉस्पिटल के मनोचिकित्सा केंद्र में आने वाले केसेज में तीन सबसे बड़े कारण निकलकर सामने आए हैं। जिसमें सबसे पहले पारिवारिक कलह है। पति-पत्नी या परिवार में किसी के द्वारा मानसिक प्रताडऩा लोगों पर भारी पड़ रही है। इससे वह परेशान होकर जान दे रहे हैं। दूसरे नंबर पर आर्थिक परेशानी कारण बनी है। जिनके पास उचित रोजगार नही है या उचित कमाई नही है। तीसरे नंबर पर प्रेम प्रसंग से जुड़े मामलों की अधिकता है। प्रेमी या प्रेमिका द्वारा धोखा दिए जाने से लोग अवसाद ग्रस्त हो रहे हैं।

हाई स्टेटस में भी बढ़े मामले

हाल ही में शहर के कुछ हाई प्रोफाइल सुसाइड मामले भी सामने आए हैं। इनमें महंत, बिजनेसमैन से लेकर अन्य लोग शामिल हैं। इन्होंने भी अवसादग्रस्त होने के बावजूद किसी से इसका जिक्र नही किया। धीरे धीरे तनाव इतना बढ़ गया है कि इन्होंने जान देेने में ही अपनी भलाई समझी। डॉक्टर्स का कहना है कि अधिक पढ़े लिखे और संपन्न लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

कोविड भी बना है कारण

छात्रों में भी बढ़े सुसाइड मामलो में कोविड का बड़ा कारण है। तीन साल से स्कूल-कॉलेज बंद रहने से पठन पाठन पूरी तरह से चौपट हो चुका था। ऑनलाइन क्लासेज की वजह से बच्चों को अधूरा ज्ञान मिल रहा था। अब जब स्कूल खुले हैं तो छात्रों को आत्मविश्वास डगमगा रहा है। ऐसे में पैरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों पर अच्छे माक्र्स का दबाव डालने के बजाय उनकी मनोदशा को समझें। इसी तरह कोविड में जिनका रोजगार गया है उनको भी अपनों के सपोर्ट की जरूरत है।

पिछले कुछ महीने में सुसाइड के मामले तेजी से बढ़े हैं। हमारे सेंटर भी मामले आ रहे हैं। जो आते हैं उनको काउंसिलिंग और इलाज से बचा लिया जा रहा है। ऐसे में सुसाइडल मार्कर की जानकारी सबको होनी चाहिए और इसके जरिए हम अपने आसपास वालों का जीवन बचा सकते हैं।

डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक काल्विन अस्पताल