प्रयागराज (ब्यूरो)। रोजाना पांच से दस फीसदी मरीज ऐसे भी आ रहे हैं जिनको गला चोक होने की शिकायत है। दरअसल, रात में यह सही सलामत सो रहे हैं और सुबह उठते हैं तो गले में तेज दर्द होता है। कुछ खाने-पीने में भी दिक्कत होती है। कुछ मरीज फीवर और बदन दर्द की शिकायत भी दर्ज करा रहे हैं। इन लक्षणों के साथ मरीज पेट दर्द और लूज मोशन के लक्षणों को भी बयां कर रहे हैं। ऐसे मरीजों की संख्या 15 फीसदी के आसपास है। सभी लक्षणों की बात करें तो वायरल इंफेक्शन के मरीजों की ओपीडी में संख्या 35 से 40 फीसदी तक पहुंच रही है।

संक्रमण से आंखें हो जाती हैं लाल

वायरस का आक्रमण पेट, गले, सिर और बदन पर ही नहीं आंखों पर भी हो रहा है। आंखों की ओपीडी में रोजाना 20 से 25 फीसदी मरीज ऐसे आ रहे है जो कंजक्टवाइटिस से परेशान हैं। वायरस के आंखों में होने वाले संक्रमण से यह बीमारी फैल रही है। इसमें रोगी को कम से कम चार से पांच दिन परेशान होना पड़ता है। इस दौरान आंखों से पानी और गंदगी निकलती है और तेज दर्द होता है। मरीज को तत्काल इलाज की जरूरत होती है।

कैसे बीमार बना रही लापरवाही

- धूप से आने के बाद तुरंत एसी में न जाएं, ठंडा पानी मत पिएं।

- बाजार में बिकने वाले पकौड़े, समोसा और छोले आदि से दूर रहें

- लूज वाटर कभी न पिएं, हो सके तो बोतल बंद पानी का यूज करें

- बीमार होने पर डॉक्टर से सलाह लें, खुद से खरीदकर दवा न लें

- गर्मी के सीजन में हल्का भोजन लेना जरूरी, मिर्च मसाले से बचें।

- खांसने-छीकने वाले व्यक्ति के पास बच्चों को मत जाने दें।

सीजन में बैक्टीरियल इंफेक्शन भी पीछे नही

वायरल के साथ इस सीजन में बैक्टीरियल इंफेक्शन भी सिर चढ़कर बोल रहा है। पीलिया, टाइफाइड जैसी बीमारियों से लोग जूझ रहे हैं। एक बार बीमार होने के बाद दस से पंद्रह दिन ठीक होने में लग रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण गंदे पेयजल की सप्लाई है। इसके अलावा बारिश होने के बाद डेंगू और मलेरिया का खतरा भी मंडराने लगा है। ऐसे में पानी को कहीं भी एक जगह एकत्र नही होने देना है।

यह सीजन संक्रमण को फैलाने के लिए एकदम परफेक्ट है। इसलिए मरीज बढ़ रहे हैं। गले में इंफेक्शन तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही लूज मोशन, फीवर आदि आम बात है। बेहतर है हेल्दी लाइफ स्टाइल फालो करें और लक्षण दिखने पर डरने के बजाय डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉ। एलएस ओझा, ईएनटी स्पेशलिस्ट ओझा हॉस्पिटल

बच्चों को भी इस सीजन में बचाकर रखना जरूरी है। उनकी इम्युनिटी कमजोर होने से वह तेजी से बीमार पड़ते हैं। रोजाना ओपीडी में पचास फीसदी से अधिक बच्चे मौसमी बीमारियों के आ रहे हैं। इसके लिए पैरेंट्स को होशियार होना होगा। बच्चों की देखभाल पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

डॉ। रितु गुप्ता, पीडियाट्रिशन, प्रीति नर्सिंग होम