कंपनी से ज्यादा ब्याज दिलाने का लालच देकर फर्जी एजेंट कर रहे हैं लोगों से फ्राड
क्राइम ब्रांच विवेचना में थाने की एफआर खारिज, बेनकाब हुई सच्चाई
PRAYAGRAJ: फ्राड के एक्टिव एक और प्लेटफार्म से आप सतर्क रहिए। इस प्लेटफार्म पर ठगी करने वाले अपने बीच के ही हैं। ये किसी प्राइवेट फाइनेंस या बीमा कंपनी का खुद को एजेंट बताकर फ्राड कर रहे हैं। मीठी-मीठी बातों से विश्वास में लेकर ये लाखों रुपये ऐंठ लेते हैं। रुपये देते ही वह फर्जी बांड और सर्टिफिकेट यहां तक की रसीद भी थमा देते हैं। इसके बाद, वह सारा रुपया दबाकर बैठ जाते हैं। यह बातें छह साल बाद क्राइम ब्रांच की रि- विवेचना से एक केस में सामने आई है। थाना पुलिस द्वारा तो इस केस में एफआर लगा दी गई थी। पीडि़त की पहल पर जांच क्राइम ब्रांच की विवेचना सेल को सौंपी गई है। क्राइम ब्रांच की विवेचना सेल द्वारा की गई जांच में लगाई गई एफआर खारिज कर दी गई। अब आरोपित गिरफ्तारी से बचने के लिए भागे-भागे फिर रहे हैं।
छह वर्ष पूर्व हुआ था फ्राड
पीएचक्यू में एसआईएम रहे विजय प्रकाश पाल की मौत के बाद लाखों रुपये के फंड मिले थे। पति की मौत के बाद रुपयों की मालकिन उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी पाल हो गई। वर्ष 2014 में उनके साथ 15 लाख 75 लाख रुपये का फ्राड हुआ। उनके जरिए जार्जटाउन थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। उन्होंने पुलिस को बताया था कि संजय विश्वकर्मा पुत्र शारदा प्रसाद निवासी सिकंदर पुर थाना जमालपुर जिला मीरजापुर व अम्बुज श्रीवास्तव पुत्र ओम प्रकाश श्रीवास्तव निवासी नेहवई थाना माण्डा उनके घर पहुंचे। दोनों खुद एक फाइनेंस कंपनी का एजेंट बताया। उन्हें मालूम था कि पति के फण्ड का पैसा उनके पास है। एजेंटों ने बताया कि यदि उनकी कंपनी में रुपये जमा कर दें सबसे ज्यादा रकम मिलेगी। उनके विश्वास में आकर विजय लक्ष्मी ने 15 लाख 75 हजार रुपये कंपनी में लगाने के लिए दे दिए। रुपये पाने के बाद दोनों उन्हें एक फाइनेंस कंपनी के नाम से फर्जी बाण्ड और सर्टिफिकेट और रसीद भी दे दी। कुछ माह बाद उन्हें मालूम चला कि उनके साथ फ्राड हुआ है। इस पर उनके जरिए जार्जटाउन में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
इस तरह हुई केस की रि-विवेचना
मामले में जार्जटाउन के विवेचक द्वारा फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई, यह कहा गया कि ये सिविल सूट है
एफआर की जानकारी हुई तो उनकी शिकायत पर रि-विवेचना क्राइम ब्रांच की विवेचना सेल को सौंपी गई
क्राइम ब्रांच विवेचना सेल द्वारा केस की पड़ताल की गई तो थाने से लगाई गई एफआर गलत साबित हुई
केस में फर्जी बाण्ड और सर्टिफिकेट आदि देने का मामला क्राइम ब्रांच विवेचना की विवेचना सामने आया
विवेचक द्वारा केस में फर्जी बाण्ड व सर्टिफिकेट देने से सम्बंधित तीन धाराएं बढ़ा दी गई
क्राइम ब्रांच विवेचना की विवेचना में नया क्लू आने के बाद आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी गई
विवेचना से जुड़े सूत्र कहते हैं कि आरोपित घर पर ताला लगा कर गांव से भागे हुए हैं
सावधान रहने के चंद फार्मूले
विवेचना अधिकारी कहते हैं कि साइबर शातिरों के साथ ऐसे लोगों से सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि यह जान पहचान या किसी रिश्तेदार के जरिए लोगों तक पहुंचते हैं। ऊंचे सपने दिखाते हुए विश्वास में लेकर रुपये ले लेते हैं। इसके बाद फर्जी बाण्ड आदि देकर कुछ दिनों तक मामला दबाए रखते हैं। जब लोगों को यह मालूम चलता है तो देर हो चुकी होती है। इसलिए जब भी कोई किसी कंपनी में ज्यादा ब्याज दिलाने या बीमा कराने का दबाव बनाए तो सतर्क रहें। अच्छी तरह उस कंपनी के बारे में पड़ताल के बाद ही रुपये लगाएं।
केस काफी पेचीदा था। लंबी जांच-पड़ताल के बाद मामले में साक्ष्य और सुबूत एकत्रित किए गए हैं। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। वह गांव छोड़कर भागे हुए हैं।
यतेंद्र भारद्वाज
प्रभारी विवेचना सेल क्राइम ब्रांच