प्रयागराज ब्यूरो । डॉ। कार्तिकेय श्रीवास्तव की मौत ने एसआरएन हॉस्पिटल के सिक्योरिटी सिस्टम पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं। पुलिस द्वारा की गई तफ्तीश में जो बातें सामने आईं, वह काफी चौंकाने वाली हैं। यहां लगे सीसीटीवी का अस्पताल प्रशासन ने इलाज ही नहीं कराया नतीजा इससे पुलिस को जांच में कोई मदद नहीं मिल सकती। अस्पताल में तैनात सुरक्षा गार्डों पर भी सवाल हैं। ज्यादा सवाल उन जूनियर रेजीडेंट पर खड़े हो गये हैं जिन्होंने अब तक एक श्रद्धांजलि सभा करने की फॉर्मेलिटी भी नहीं पूरी की है। ऊपर से खामोशी ओढ़े हुए हैं।
क्या कर रहे थे गार्ड?
सुरक्षा के नाम पर यहां 40 सिक्योरिटी गार्ड रखे गए हैं। इन गार्डों की बाहर से लेकर अंदर तक ड्यूटी लगाई जाती है। इन्हें पूर्व सैनिक कल्याण निगम से हॉयर किया गया है। यह सभी सेना के रिटायर्ड जवान हैं। इनकी तैनाती जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की डिमांड पर की गई थी। सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। इतनी टाइट सिक्योरिटी के बावजूद डॉ। कार्तिकेय की मौत पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में खड़े करती है। डॉक्टर की कार उस जहां पार्क थी जहां पूरे दिन कर्मचारियों व डॉक्टरों एवं लोगों का आवागमन बना रहता है। फिर भी डॉक्टर कार्तिकेय कार में अकेले अचेत पड़े थे और उन पर किसी की नजर नहीं पड़ी।
दो साल के कैमरे खराब
सिक्योरिटी के प्रति जिम्मेदारों की गंभीरता पुलिस की जांच से बेनकाब हो गई है। पुलिस के मुताबिक की गई छानबीन में हॉस्पिटल के कैमरे करीब पिछले एक दो वर्ष से खराब बताए जा रहे हैं। पुलिस को पता चला है कि यह कैमरे कोरोना काल में लगाए गए थे। चर्चा है कि जब डॉक्टर कार्तिकेय सुबह से नहीं मिल रहे थे और खोजा जा रहा था तो सिक्योरिटी गार्ड क्या कर रहे थे। वह गाडिय़ों में खासकर उनकी कार में देखना मुनासिब क्यों नहीं समझे।
खामोशी के पीछे डर!
डॉक्टर कार्तिकेय श्रीवास्तव हत्या कांड में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की खामोशी लोगों को पच नहीं रही है।
यह वही एसोसिएशन है, जिसने कोलकाता में महिला डॉक्टर की हत्या के विरोध में कोहराम मचा दिया था।
कार्तिकेय केस में कोई सामने आने को तैयार नहीं है। कोई डॉक्टर श्रद्धांजलि तक नहीं दे पा रहा है।
सोमवार को हॉस्पिटल के डॉक्टर रूटीन कामकाज में लगे रहे। जूनियर से लेकर सीनियर डॉक्टरों की भाव भंगिमा ऐसी बताई गई जैसे कि कुछ हुआ ही न हो।
अभी तो एसोसिएशन की बैठक नहीं हुई है। मगर डॉ। कार्तिकेय की मौत से सभी रेजीडेंट दुखी हैं। जल्दी ही एसोसिएशन इस मामले में कोई निर्णय लेगा।
डॉ। रवि प्रताप ङ्क्षसह
सचिव जूनियर डाक्टर एसोसिएशन