मां की मौत से खफा इंस्पेक्टर और परिजनों ने हॉस्पिटल के डॉक्टरों से की मारपीट
एसआरएन के रेजीडेंट भी हुए लामबंद, दिन भर ठप रहा काम, डीएम की मौजूदगी में समझौते के बाद काम पर लौटे
आईजी रेंज ने मारपीट करने वाले इंस्पेक्टर को किया सस्पेंड
मरीज के इलाज को लेकर आसआरएन में शुक्रवार को भोर से लेकर शाम काम ठप रहा। मां का इलाज कराने के लिए आए प्रतापगढ़ में तैनात इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी और उसके परिजनों ने समय पर भर्ती न करने का आरोप लगाते हुए डॉक्टर को पीट दिया तो डॉक्टर्स भी लामबंद हो गये। उन्होंने काम ठप करके घरना देना शुरू कर दिया। वे एसआरएन में सुरक्षा बढ़ाने के साथ इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग कर रहे थे। डॉक्टर्स को काम पर वापस लौटाने के लिए देर शाम तक पंचायत चली। मिटिंग में मौजूद आईजी रेंज केपी सिंह ने इंस्पेक्टर को सस्पेंड करने और डीएम ने व्यवस्था दुरुस्त कराने का भरोसा दिलाया, इसके बाद डॉक्टर काम पर लौटे।
बेड खाली न होने का दिया था हवाला
सस्पेंड किये गये इंस्पेक्टर का नाम जुल्फिकार अली बताया गया है। वह प्रतापगढ़ जिले में पुलिस की लीगल सेल युनिट में तैनात हैं। उनकी मां बदरुनिनशा की तबियत चोट के चलते बिगड़ गयी थी। मां को भर्ती कराने के लिए लेकर वह एसआरएन पहुंचे थे। बताया जाता है कि यहां उन्हें मां के लिए बेड नहीं मिला। इससे भर्ती होने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। मौत से नाराज इंस्पेक्टर व साथ रहे अन्य तीमारदारों ने डॉ। रजत कुमार की पिटाई कर दी। तीमारदारों की पिटाई से रजत के सिर में गंभीर चोटें आई और वह ब्लड से तरबतर हो गए। यह देख बचाव में पहुंचे डॉ। अमित और वैभव पर भी तीमारदारों ने हमला हमला कर दिया। डॉक्टर्स की चीख-पुकार सुन हॉस्पिटल के दर्जनों डॉक्टर दौड़ पड़े। पहुंचे डॉक्टरों ने डॉक्टर की पिटाई करने वाले इंस्पेक्टर समेत उसके साथ रहे लोगों की जमकर पिटाई की। साथियों को घायल देख आक्रोशित डॉक्टर्स के सामने जो भी पड़ा वे उसी पर टूट पड़े। इससे हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंचे दूसरे मरीजों व उनके तीमारदारों में दहशत फैल गई। तीमारदार यह सब देख खुद को सुरक्षित करने के लिए इधर-उधर भागने लगे। करीब आधे एक घंटे बाद डाक्टर्स हॉस्पिटल की पुरानी बिल्डिंग के गैलरी में इलाज बंद कर धरने पर बैठ गए।
यहां से भड़की विवाद की चिंगारी
इंस्पेक्टर ने अपनी मां को एसआरएन हॉस्पिटल में 18 अप्रैल को एडमिट करवाया था। इलाज बाद उनकी हालत ठीक हो गई।
गुरुवार को उन्हें सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी। दूसरी ओर डॉक्टर उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करने के लिए कह रहे थे।
इस पर इंस्पेक्टर ने मां को सांस लेने में तकलीफ बताते हुए डिस्चार्ज न करने की बात कहने लगे।
तर्क था कि उनकी मां को चेस्ट वार्ड नंबर 18 में शिफ्ट कर दें।
डॉक्टर्स की मानें तो उस वार्ड में बेड खाली नहीं था।
इस पर इंस्पेक्टर व उनके साथ रहे लोग एक दूसरे मरीज को हटाकर उस पर महिला को शिफ्ट कराने पर अड़ गए।
डॉक्टर किसी मरीज को हटाकर महिला को बेड देने की बात से सहमत नहीं थे।
इसी बात को लेकर इंस्पेक्टर सहित उसके साथ रहे लोग रजत से विवाद करने लगे। देखते ही देखते वार्ड नंबर एक में ही महिला की मौत हो गई।
मां की मौत से इंस्पेक्टर व साथी तीमारदार आक्रोशित हो गए। वह डॉक्टर रजत पर हमला बोल दिए जिससे उनका सिर फट गया।
जिनका कोई वास्ता नहीं उसे भी पीटे
हॉस्पिटल में कई ऐसे मरीजों के तीमारदारों को खफा डॉक्टर्स पीट दिए, जिनका इस केस से कोई मतलब था ही नहीं। यह स्थिति देखकर हॉस्पिटल में भर्ती दूसरे मरीज व उनके तीमारदार दहशत में आ गए। तीमारदार खुद को सेफ करने के लिए इधर उधर भागने लगे। डॉक्टरों की पिटाई से रो रहे शैफ निवासी गाजीपुर का कहना था कि हमें अनायास ही पीटा गया। वह पानी लेकर अपने भर्ती पिता के पास जा रहा रहा था। उसे तो इस घटना के बारे में मालूम भी नहीं था। वह डॉक्टर्स से पूछता रहा कि क्यों मार रहे हैं, मगर बगैर कुछ बताए वे पीटते रहे।
डॉक्टर्स का सवाल कैसे करें इलाज
हॉस्पिटल में बवाल की खबर सुनते डीआई/एसएसपी, एसपी क्राइम, एसपी सिटी, एसपी प्रोटोकॉल, सीओ सिविल लाइंस, कर्नलगंज, शाहगंज सहित तमाम अधिकारी कई थानों की फोर्स के साथ मौके पर जा पहुंचे।
धरने पर बैठे नाराज डॉक्टर इनकी एक सुनने को तैयार नहीं थे। पुलिस अधिकारियों से बात नहीं बनी तो डीएम भानुचंद गोस्वामी को मोर्चा संभालना पड़ा।
करीब छह बजे सुबह पहुंचे डीएम ने धरने पर बैठे डॉक्टर्स को समझाने की कोशिश की तो नाराज डॉक्टर हॉस्पिटल में अव्यवस्थाओं को लेकर बिफर पड़े।
डॉक्टरों का कहना था कि हॉस्पिटल में बेड नहीं है, ऑक्सीजन नहीं, दवाएं नहीं फिर हम लोग पब्लिक का इलाज कैसे करें।
मरीज लेकर आए तीमारदार उनपर हमले करते हैं। हॉस्पिटल की अव्यवस्था का खामियाजा डॉक्टर्स को भुगतना पड़ता है।
शिफ्ट में तैनात होंगे पुलिसकर्मी
देर शाम तक हॉस्पिटल में हंगामा चलता रहा। बात आईजी कवीन्द्र प्रताप सिंह को मालूम चली तो वह भी जा पहुंचे। आईजी ने इंस्पेक्टर जुल्फकार अली को सस्पेंड कर दिया। डीएम और आईजी ने आश्वासन दिया कि हॉस्पिटल में आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में 25 पुलिस कर्मियों की तैनाती की जाएगी। यह पुलिस के जवान डॉक्टर्स की सुरक्षा का दायित्व संभालेंगे। एक मरीज के साथ एक ही अटैंडेंट वार्ड में जाएगा। वह भी हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा उसका पास बनाया जाएगा। हॉस्पिटल में संसाधानों की कमी व अव्यवस्थाएं दूर की जाएंगी। मांग मान लिए जाने के बाद डॉक्टर्स काम पर लौटे और देर रात इलाज शुरू रूप से चालू हो सका।
डॉक्टर्स के साथ मारपीट करने के आरोपित प्रतापगढ़ में तैनात इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। विवाद का कारण इंस्पेक्टर की मां की मौत को बताया जा रहा है। फिलहाल, डॉक्टरों की बातें मान ली गई हैं। वह काम पर लौट गए हैं।
कवीन्द्र प्रताप सिंह, आईजी प्रयागराज रेंज
देर शाम तक पुलिस को कोई तहरीर नहीं मिली थी। यदि तहरीर मिलेगी तो मुकदमा दर्ज कर उसकी विवेचना कराई जाएगी। जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी
डीआईजी/एसएसपी