विछोह की पीड़ा और मिलन के उछाह की अभिव्यक्ति को बिरहा नाम दिया गया। ग्रामीण अंचल में बिरहा की तान सुनने बड़ी संख्या में लोग जुटते रहे हैं, लेकिन शनिवार को इस पुरानी लोकप्रिय विधा की प्रस्तुति श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी ने आइए चलें लोक संस्कृति की ओर मिशन के तहत करायी। श्रीकृष्ण के जन्म महोत्सव के तीसरे दिन बिरहा का आयोजन कर उसके कलाकारों को सम्मानित किया गया।
प्रतापगढ़ से पधारी लोक गायिका श्वेता यादव अर्पण ने एक से एक बढ़ कर गीत सुनाए। कान्हा जनम लिहले जेल की कोठारिया मा, रात अंधियरिया मां न गंगा गंगा रोहराऊं, गंगा जी नाहीं बोलै हों मइया फुलवा से बोझल मोरि नैय्या परवा लगावा हो जैसी कई और कर्णप्रिय धुनों में गाये उनके गीत श्रोताओं को आनंदित करते रहे। जवाबी बिरहा के क्रम में बचऊ लाल यादव ने तान छेड़ी, सोवत निंदिया जगवलू हो मोरी माई, ललनवा आये गोकुल नगरी, सीता फुलवारी मा झूलैं झुलनवा बहुत निक लागै हो, इस तरह दोनों ही गायक कलाकार अपनी अपनी प्रवीणता प्रदर्शित करते रहे, श्रोता आनद सागर में गोते लगाते रहे। छ: दिवसीय महोत्सव के संयोजक धर्मेन्द्र कुमार भइया जी है। कमेटी के प्रवक्ता लल्लूलाल गुप्त सौरभ के अनुसार अध्यक्ष मुकेश पाठक ने कलाकारों को सम्मानित किया।